अटार्नी जनरल ने मुख्य न्यायाधीश से कहा, लंचब्रेक में बाहर जाकर देखिए, भीड़ कम हो रही है

भाषा नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बैंकों और डाकघरों के बाहर लंबी कतारों को आज एक ‘गंभीर मसला’ बताया और पांच सौ तथा एक हजार रुपये की मुद्रा बंद करने की आठ नवंबर को अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार नहीं करने का देश की अन्य अदालतों को निर्देश देने की केंद्र की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2016 1:57 PM

भाषा

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बैंकों और डाकघरों के बाहर लंबी कतारों को आज एक ‘गंभीर मसला’ बताया और पांच सौ तथा एक हजार रुपये की मुद्रा बंद करने की आठ नवंबर को अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार नहीं करने का देश की अन्य अदालतों को निर्देश देने की केंद्र की अर्जी पर अपनी असहमति व्यक्त की.

प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और अनिल आर दवे की पीठ ने संबंधित पक्षों से सभी आंकड़ों और दूसरे बिन्दुओं के बारे में लिखित में तैयार करने का निर्देश देते हुए कहा, ‘‘यह गंभीर विषय है जिस पर विचार की आवश्यकता है.’ पीठ ने कहा, ‘‘कुछ उपाय करने की जरूरत है. देखिये जनता किस तरह की समस्याओं सेरूबरू हो रही है. लोगों को उच्च न्यायालय जाना हीपड़ेगा. यदि हम उच्च न्यायालय जाने का उनका विकल्प बंद कर दहेंगे तो हमें समस्या की गंभीरता का कैसे पता चलेगा. लोगों के विभिन्न अदालतों में जाने से ही समस्या की गंभीरता का पता चलता है.’ पीठ ने यह टिप्पणियां उस वक्त की जब अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि पांच सौ और एक हजार रुपए के नोटों के विमुद्रीकरण को चुनौती देने वाले किसी भी मामले पर सिर्फ देश की शीर्ष अदालत को ही विचार करना चाहिए.

हालांकि, पीठ ने कहा, ‘‘जनता प्रभावित है. जनता व्यग्र है. जनता को अदालतों में जाने का अधिकार है. समस्यायें हैं और क्या आप (केंद्र) इसका प्रतिवाद कर सकते हैं.’ अटार्नी जनरल ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है परंतु ये कतारें अब छोटी हो रही हैं. उन्होंने तो यह भी सुझाव दिया कि प्रधान न्यायाधीश भी भोजनावकाश के दौरान बाहर जाकर स्वयं इन कतारों को देख सकते हैं.

मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा, ‘‘कृप्या भोजनावकाश के दौरान जाइये.’ इसके साथ ही उन्होंने स्थिति को कथितरूप सेबढ़ा चढाकर पेश करने पर एक निजी पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के कथन पर आपत्ति व्यक्त की.

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