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कालाधन जमा करने वालों को एक मौका और, 50 फीसदी टैक्स, चार साल का लॉक इन

नयी दिल्ली : बेहिसाब धन रखने वालों को भारत सरकार अपनी आय घोषित करने का एक और बड़ा अवसर देने पर विचार कर रही है. इस मौके का लाभ वे लोग तो उठा ही सकेंगे, जिन्होंने 8 नवंबर के बाद अपने बैंक खातों में बेहिसाब धन जमा कराया है, ऐसे लोग भी इसका लाभ ले […]

नयी दिल्ली : बेहिसाब धन रखने वालों को भारत सरकार अपनी आय घोषित करने का एक और बड़ा अवसर देने पर विचार कर रही है. इस मौके का लाभ वे लोग तो उठा ही सकेंगे, जिन्होंने 8 नवंबर के बाद अपने बैंक खातों में बेहिसाब धन जमा कराया है, ऐसे लोग भी इसका लाभ ले सकेंगे, जो 30 दिसंबर तक बैंक में रुपया जमा कराने पर विचार कर रहे हैं. इससे पहले सरकार ने बेहिसाब धन रखने वालों को अपनी आय घाेषित करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया था.

मीडिया खबरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट की बैठक में नोटबंदी की समीक्षा करने बाद बेहिसाब धन बैंकों में जमा कराने वालों को एक और अवसर देने पर विचार किया है. इसके तहत जिन्होंने 8 नवंबर के बाद अपने खातों में बेहिसाब धन जमा किया है या जो 30 दिसंबर तक ऐसा करेंगे, अगर वे आय कर अधिकारी के समक्ष अपने इस धन की घोषणा करते हैं, तो उनसे जमा बेहिसाब राशि पर 50 प्रतिशत टैक्स वसूल कर बाकी राशि पर उनका हक बहाल कर दिया जायेगा, लेकिन वे उनमें से केवल 50 फीसदी राशि ही तत्काल खाते से निकाल सकेंगे. शेष 50 फीसदी राशि की निकासी पर चार साल के लिए रोक रहेगी. खबर के मुताबिक, अगर बेहिसाब धन बैकों में जमा करने वाला इस अवसर का भी लाभ नहीं उठाता है, यानी अपनी ओर से इस धन की आय कर अधिकारी के समक्ष घोषणा नहीं करता है और सरकार की एजेंसी ऐसे धन का पता लगा लेती है, तो उस धन पर 60 प्रतिशत टैक्स लगेगा और निकासी पर लंबे समय के लिए रोक होगी. टैक्स की यह दर 90 फीसदी तक भी हो सकती है. सरकार इसे प्रभाव में लाने के लिए संसद के मौजूदा सत्र में ही आयकर कानून में संशोधन करेगी.

सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा है कि नोटबंदी के बाद से लेकर 30 दिसंबर के 50 दिन में देश का सभी बेहिसाब धन बैंक खातों में जमा हो. इससे पहले, कर अधिकारियों ने 10 नवंबर से 30 दिसंबर के बीच 2.5 लाख रुपये से अधिक बेहिसाब जमा पर कर और उस पर 200 प्रतिशत जुर्माना लगाने की बात की थी. बाद में यह महसूस किया गया कि इस प्रकार की बातों के पीछे कोई कानूनी आधार नहीं है. समझा जाता है कि इस खामी को दूर करने के लिए मंत्रिमंडल ने कल आयकर कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी.

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