नोटबंदी : अगर मैं वित्त मंत्री होता और पीएम देते जोर, तो दे देता इस्तीफा : चिदंबरम
नयी दिल्ली : देश में नोटबंदी को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार और वित्त मंत्री अरुण जेटली पर राजनीतिक वार करते हुए कहा कि अगर वह वित्त मंत्री होते और प्रधानमंत्री नोटबंदी पर जोर देते, तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देते. इसके साथ ही, […]
नयी दिल्ली : देश में नोटबंदी को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार और वित्त मंत्री अरुण जेटली पर राजनीतिक वार करते हुए कहा कि अगर वह वित्त मंत्री होते और प्रधानमंत्री नोटबंदी पर जोर देते, तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देते. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यह बात सही है कि यूपीए के कार्यकाल में भ्रष्टाचार था और कांग्रेस के मंत्री इसे लेकर सतर्क नहीं थे, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि सरकार ने भ्रष्टाचार के विरोध में कोई कदम नहीं उठाया.
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने दिल्ली में आयोजित साहित्य सम्मेलन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि यदि प्रधानमंत्री मुझसे 500 और 1000 रूपये के नोट को अवैध घोषित करने का फैसला करना है, तो मैं उन्हें ऐसा करने की सलाह कतई नहीं देता, बल्कि इसके बदले में उन्हें तथ्यों और आंकड़ों से अवगत कराता है. मैं ऐसा हरगिज नहीं करता. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री यह कहते, तो माफ कीजिएगा, यह मेरा फैसला है, मुझे यह करना है, तो मैं आपसे स्पष्ट कहता हूं कि मैं इस्तीफा दे देता.
नोटबंदी को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए चिदंबरम ने दावा किया कि सरकार का कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावों के अनुरूप भ्रष्टाचार, जाली मुद्रा और कालाबाजारी को समाप्त नहीं करेगा. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल थोड़े समय के लिए यह फायदा देगा कि शहरी इलाकों में डिजिटल लेन-देन बढ़ेंगे. उन्होंने यूपीए के शासनकाल में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में कहा कि कांग्रेस और उसके मंत्री भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त रूप से सतर्क नहीं थे, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी चूंकि सत्ता में थी, इसलिए उस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाना तर्कहीन है.
चिदंबरम ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले सभी सरकारों में रहे हैं और मैं उससे इनकार नहीं कर रहा. यूपीए के 10 साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हुए थे. कांग्रेस पहले भी सत्ता में रही थी, जब इंदिरा गांधी और जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे. उस समय सरकार फिर चाहे वह कांग्रेस की रही हो या किसी और पार्टी की, मुझे कांग्रेस पार्टी का उदाहरण लेने दें. कांग्रेस पार्टी और पार्टी के मंत्री भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए पर्याप्त रूप से सतर्क नहीं थे. जिसने भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया, उसे सजा दें. किसी ने ऐसा नहीं कहा कि आप कांग्रेस के मंत्री को सजा इसलिए नहीं दें, क्योंकि वह कांग्रेस का नेता है. महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य चिदंबरम ने कहा कि ऐसा दिख सकता है कि कांग्रेस कमजोर पड़ गयी है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वह फिर खड़ी नहीं हो सकती.