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तृणमूल के आरोपों पर सेना का जवाब, सामने रखे कई सबूत, रक्षामंत्री ने इसे ”पॉलिटिकल फ्रस्ट्रेशन” बताया

नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में टोल प्लाजा पर सेना की मौजूदगी को लेकर गंभीर आपत्ति व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने आज संसद में इसे एक साजिश करार दिया जिसपर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने राज्यसभा में जवाब दिया और बिना नाम लिये मामले का राजनीतिकरण करने पर इसे ‘पॉलिटिकल फ्रस्ट्रेशन’ […]

नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में टोल प्लाजा पर सेना की मौजूदगी को लेकर गंभीर आपत्ति व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने आज संसद में इसे एक साजिश करार दिया जिसपर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने राज्यसभा में जवाब दिया और बिना नाम लिये मामले का राजनीतिकरण करने पर इसे ‘पॉलिटिकल फ्रस्ट्रेशन’ की संज्ञा देते हुए तृणमूल पर करारा प्रहार किया.

मामले को लेकर बंगाल एरिया के जीओसी मेजर जनरल सुनील यादव ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर टीएमसी के सभी आरोपों का खंडन किया और कहा कि ‘यह एक रूटीन अभ्‍यास है जो सेना के परिचालन संबंधी उद्देश्यों के लिए किया जाता है. सेना की ईस्टर्न कमांड स्थानीय स्तर पर वार्षिक डेटा इक्ट्ठा करने का अपना रूटीन अभ्‍यास कर रही है.

टोल प्लाजा पर सेना की तैनाती के जवाब में उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों के सभी एंट्री पॉइंट्स पर सेना सिर्फ भारी वाहनों के डेटा इक्ट्ठा करने में लगी है. यह एक वार्षिक अभ्‍यास है जो प्रति वर्ष किया जाता है. उन्होंने कहा कि यह अभ्‍यास सेना अकेले नहीं बल्कि स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर कर रही है. स्थानीय संबंधित अधिकारी को इसकी जानकारी दे दी गई थी.

मेजर जनरल ने कहा कि पूरे क्षेत्र में इस तरह के 80 डेटा कलेक्शन पॉइंट हैं और हर पॉइंट पर सेना के 5 से 6 जवान को तैनात किया गया है. इन जवानों के पास किसी तरह का कोई हथियार नहीं है. इसी तरह का अभ्‍यास इससे पहले यूपी, बिहार और झारखंड में भी इसी साल 26 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि पहले यह अभ्‍यास 28, 29 और 30 नवंबर को होने वाली थी लेकिन भारत बंद की वजह से कोलकाता पुलिस ने इन तारीखों पर आपत्ति दर्ज करवायी थी जिसके बाद तारीख को बदलकर 1 और 2 दिसंबर कर दिया गया था और इस बारे में पुलिस को सूचना भी दी गई थी. आपको यहां बता दें कि इसी तरह का बयान आज रक्षा मंत्री ने संसद में भी दिया है.

उल्लेखनीय है कि टीएमसी ने आरोप लगाया है कि अपनी इस रूटीन अभ्‍यास के बारे में सेना ने पश्चिम बंगाल सरकार और स्थानीय पुलिस को कोई सूचना नहीं दी थी. पार्टी के इस आरोप पर सेना ने एक दो नहीं बल्कि 9 नोटिफिकेशन मीडिया के समक्ष रखे. इस सबूत से यह बात साफ हो जाती है कि सेना ने अचानक कोई कदम नहीं उठाया बल्कि राज्य प्रशासन और स्थानीय पुलिस को इस बारे में पहले ही सूचित किया गया था.

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