नयी दिल्ली : देश के निवेशकों से तकरीबन 312 करोड़ रुपये की मोटी रकम जुटाने के बाद 78 कंपनियां चंपत हो गयी हैं. इस मोटी रकम को जुटाने के बाद इन कंपनियों के बारे में किसी को किसी तरह की जानकारी नहीं मिल रही है. इन कंपनियों में गुजरात की सबसे अधिक कंपनियां हैं. यह खुलासा कॉरपोरेट मामले के राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में दिये गये लिखित जवाब में किया है. उनकी ओर से शुक्रवार को लोकसभा में दिये गये जवाब में यह बताया गया है कि निवेशकों से मोटी रकम जुटाने के बाद चंपत होने वाली कंपनियां तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और ओड़िशा की हैं.
कॉरपोरेट मामले के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि निवेशकों की मोटी रकम लेकर जो कंपनियां चंपत हो गयी हैं, उन्होंने संबंधित दस्तावेज और खाता-बही को सही तरीके से अपडेट भी नहीं किया है. इन कंपनियों ने सार्वजनिक बॉन्ड्स के जरिये 312 करोड़ रुपये की मोटी रकम जुटाया था. निवेशकों से मोटी रकम वसूलने के बाद अब इनका कोई अता-पता नहीं है. गुजरात के बाद सबसे अधिक ऐसी 13 कंपनियां आंध्र प्रदेश की है. तमिलनाडु में 10 कंपनियां फंड जुटाने के बाद चंपत हो गयीं. वहीं, मोटा निवेश हासिल करने के बाद महाराष्ट्र में भी नौ कंपनियों की कोई खबर नहीं है. पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और दिल्ली में भी 5-5 कंपनियों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है.
कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में दिए लिखित जवाब में बताया कि शुरुआत में मंत्रालय ने ऐसी कुल 238 कंपनियों के बारे में पड़ताल की थी, जो फंड लेने के बाद चंपत हो गयीं. इस जांच में मंत्रालय ने 160 कंपनियों का पता कर लिया, लेकिन अब भी 78 कंपनियों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पायी हैं. इस बीच मंत्रालय ने धोखाधड़ी करने वाली 185 कंपनियों के खिलाफ जांच के लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है.