अहमदाबाद : सबसे बड़े कालेधन 13 हजार 860 करोड़ की घोषणा करने वाले महेश शाह के बयान ने सनसनी पैदा कर दी है. एक न्यूज चैनल पर चल रहे उसके बयान में यह दावा किया गया है कि इतनी बड़ी रकम यह उसकी नहीं है. उसने कमीशन के लालच में दूसरों के कालेधन को अपना बता कर आयकर विभाग के समक्ष घोषणा की थी. वह कालेधन रखनेवालों की उस बड़ी कोशिश का हिस्सा भर है, जिसके तहत ब्लैक मनी को ह्वाइट करने की मंशा थी. उसने 30 सितंबर को इतनी बड़ी मात्रा में कालाधन अपने पास होने की घोषणा की थी, लेकिन 8 नवंबर को नोटबंदी का एलान होने बाद पूरा खेल बिगड़ गया और वह डर के मारे अहमदाबाद से निकल गया. महेश शाह को कई दिनों से तलाश रहे आकर विभाग ने उसे आज अहमदाबाद में हिरासत में ले लिया गया.
एक निजी टीवी चैनल ने महेश शर्मा का बयान दिखाया, अपने बयान में महेश शाह ने माना है, ‘कमीशन की लालच मैंने कालेधन का एलान किया था. शाह ने कहा, पैसा मेरा नहीं है. 13860 करोड़ रुपये किसके हैं, यह मैं आयकर विभाग को बताऊंगा. यह आकड़ा बढ़ भी सकता है. कालाधन मेरा नहीं है. मुझे और मेरे परिवार को सुरक्षा चाहिए. मैं पहली किस्त भरने के लिए तैयार था लेकिन किसी डर की वजह से मैंने नहीं भरा.’
महेश शाह ने यह भी कहा है कि उसकी कथित आकर घोषणा से कई लोग जुड़े हुए हैं. जब उनके नाम बताऊंगा, तो सच सामने आयेगा. उसने कहा कि यह अपराध या ड्रग्स का कालाधन नहीं है. मैं न भागा था, न फरार था.
शाह को अपने पास इतना बड़ा कालाधान होने की बात स्वीकार करने के बाद 30 नवंबर तक 975 करोड़ रुपये का टैक्स पहली किस्त के रूप में जमा करानी थी, जिसे वे जमा नहीं कर सका. इसके बाद से आयकर विभाग को उनकी तलाश थी. टैक्कास की पहली किस्त जमा नहीं कर पाने के बारे में उसने खुलासा किया कि नोटबंदी के बाद उसने अहमदाबाद छोड़ दिया था. हालांकि अबतक शाह ने कालेधन के मामले में किसी का नाम नहीं लिया है, लेकिन इस मामले में अब बड़े लोगों के नामों का सामने आना लगभग तय माना जा रहा है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि महेश शर्मा ने कालेधन का एलान कर दिया, लेकिन नोटबंदी और कई कारणो से उसके पास पैसा नहीं पहुंचे, जिसके कारण शाह पहली किस्त जमा नहीं कर पाया.
क्या है मामला
महेश शाह ने केंद्र सरकार की इनकम डेक्लेरश्न स्कीम के तहत अपने पास 13,860 करोड़ रुपये कालेधन की बात स्वीकार कर ली थी. यह स्कीम 30 सितंबर तक के लिए थी और उन्होंने अंतिम दिन देर रात में यह घोषाणा की. इसके लिए आधी रात को आइटी डिपार्टमेंट का दफ्तर खोला गया था. योजना के तहत महेश शाह को अपने घोषित कालेधन पर 30 नवंबर से पहले आयकर विभाग के पास 975 करोड़ रुपये की पहली किस्त जमा करनी थी, मगर शाह इस रकम को जमा करना भूल गये. उसके बाद से ही शाह की तलाश की जा रही थी.