#HeartofAsia : पाकिस्तान को बड़ा झटका, एयर कॉरिडोर बनायेगा भारत-अफगानिस्तान
अमृतसर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच द्विपक्षीय वार्ता में आज सीमा पार से होने वाले आतंकवाद सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई और दोनों देशों ने आतंकवाद-निरोधी सहयोग को और मजबूत करने का निर्णय किया. आतंकवाद पर लगाम लगाये पाकिस्तान, नहीं चाहिए 50 करोड़ डॉलर : अशरफ […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
December 4, 2016 4:09 PM
अमृतसर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच द्विपक्षीय वार्ता में आज सीमा पार से होने वाले आतंकवाद सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई और दोनों देशों ने आतंकवाद-निरोधी सहयोग को और मजबूत करने का निर्णय किया.
आतंकवाद पर लगाम लगाये पाकिस्तान, नहीं चाहिए 50 करोड़ डॉलर : अशरफ गनी
बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय सहयोग में और एक अरब डॉलर की राशि का उपयोग करने पर सहमति बनी. इस राशि का उपयोग खास तौर से क्षमता संवर्द्धन, कौशल विकास, अवसंरचना विकास और संभावित विमान सेवा सहित परिवहन संपर्क विकसित करने के क्षेत्र में होगा. दोनों देशों के बीच यह विमान संपर्क शुरू होने से भारत अफगानिस्तान में पाकिस्तान के मुकाबले कुछ लाभ की स्थिति में आ जाएगा क्योंकि इस्लामाबाद लगातार उसकी सीमा से ट्रांजिट संपर्क देने से इनकार कर रहा है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने कहा कि दोनों नेताओं ने अपने देशों के बीच ‘‘करीबी और मित्रवत’ संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को बेहतर बनाने तथा रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने संबंधी हालिया फैसलों पर हुई प्रगति की समीक्षा की.
स्वरुप ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने आतंकवाद के साझा खतरों, विशेष रुप से सीमा पार से होने वाली गतिविधियों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया. (सीमापार के) आतंकवाद से भारत और अफगानिस्तान के लोगों को बहुत तकलीफें झेलनी पड़ी हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘इस परिपे्रक्ष्य में दोनों देशों के बीच आतंकवाद-निरोधी सहयोग बढ़ाने, संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य मंचों पर समन्वय बढ़ाने पर दोनों नेताओं में सहमति बनी.’ भारत ने पिछले महीने इस्लामाबाद में होने वाले दक्षेस सम्मेलन में भाग लेने से मना कर दिया था और इसके लिए पाकिस्तान की सीमा से होने वाले आतंकी हमलों को कारण बताया था. अफगानिस्तान और दक्षेस के अन्य सदस्य देशों ने भी क्षेत्र में बढ़ते आतकंवाद का हवाला देते हुए सम्मेलन में भाग लेने से मना कर दिया था जिसके बाद यह सम्मेलन रद्द कर दिया गया था.
द्विपक्षीय संबंधों की संभावनाओं पर संतोष जताते हुए मोदी और गनी में सहमति बनी कि दोनों देश संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए लगातार काम करते रहेंगे. स्वरुप ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं के बीच एक अरब डॉलर की अतिरिक्त राशि को द्विपक्षीय सहयोग, विशेष रुप से क्षमता संवर्द्धन, कौशल विकास, अवसंरचना विकास और विमान सेवा सहित परिवहन संपर्क विकसित करने पर सहमति बनी है. भारत अफगानिस्तान के बीच संभावित विमान कोरिडोर द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने की राह में आने वाले अवरोधों को दूर करेगा.’ हार्ट ऑफ एशिया- इस्तांबूल प्रक्रिया सम्मेलन के लिए कल शाम यहां पहुंचे गनी ने स्वर्ण मंदिर की अपनी यात्रा को ‘‘दिल को छू लेने वाला अनुभव’ बताते हुए उसे याद किया.
बैठक में मोदी ने अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत का समर्थन जारी रखने का आश्वासन गनी को दिया. सूचनाओं के अनुसार, अफगानिस्तान ने सैन्य हार्डवेयर आपूर्ति बढ़ाने संबंधी मांग भी भारत से की है. करीब दो साल पहले शुरू हुई नाटो बलों की संख्या में कमी लाने की प्रक्रिया के बाद तालिबान के फिर से सिर उठाने के कारण, अफगानिस्तान उससे लड़ने के लिए अपनी सैन्य शक्ति बढाने के प्रयासों में लगा हुआ है.
सूत्रों का कहना है कि भारत और अफगानिस्तान दोनों ही जितनी जल्दी संभव हो विमान मालवाहक सेवा समझौते को अंतिम रुप देने तथा पहले से तय समझौते में विस्तार करने के इच्छुक हैं. भारत और अफगानिस्तान दो तरफा व्यापार के लिए एक दूसरे को जोड़ने वाली विभिन्न परियोजनाएं तलाश कर रहे हैं.
इस वर्ष मई में भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को मुख्य बिन्दू बनाते हुए व्यापार एवं परिवहन कोरिडोर बनाने के समझौते पर हस्ताक्षर किया था. इसका लक्ष्य एक ट्रांजिट कोरिडोर विकसित करना है.
चाबहार बंदरगाह का समुद्री-सडक मार्ग पाकिस्तान को दरकिनार करने के लिहाज से विकसित किया गया है. चीन द्वारा पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह विकसित किए जाने पर भारत की प्रतिक्रिया के रुप में इस रास्ते को देखा जा रहा है.
अफगानिस्तान भारत के साथ अपने रक्षा और सुरक्षा संबंधों को और मजबूत बनाने को इच्छुक है और संकेत मिल रहे हैं कि गनी हथियारों और सैन्य हार्डवेयर की आपूर्ति बढ़ाने को लेकर भारत पर जोर दे रहे हैं. भारत-अफगानिस्तान क बीच किसी प्रकार के करीबी सैन्य संबंधों से पाकिस्तान बहुत नाखुश होगा. भारत ने चार सैन्य हेलीकॉप्टरों में से चौथा और अंतिम हेलीकॉप्टर पिछले सप्ताह अफगानिस्तान भेजा है.
भारत ने अफगानिस्तान के सैकड़ों सुरक्षा कर्मियों को प्रशिक्षण दिया है लेकिन वह हथियारों की आपूर्ति को लेकर थोड़ा सतर्क रहता है. भारत इस मामले में पाकिस्तान को उकसाना नहीं चाहता. अफगानिस्तान सोवियत-काल के हेलीकॉप्टरों और मालवाहक विमानों को प्रयोग योग्य बनाने में भी भारत की सहायता चाहता है. फिलहाल ये सभी उड़ान भरने की स्थिति में नहीं हैं. भारत की अफगानिस्तान के साथ रणनीतिक साझेदारी है और वह देश की अवसंचरना पुनर्निर्माण में मदद कर रहा है.