सोनिया और नरसिंह राव के रिश्ते थे तनावपूर्ण!
नयी दिल्ली : एक केंद्रीय मंत्री की लिखी किताब में दावा किया गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव के रिश्ते तनावपूर्ण थे क्योंकि सोनिया राजीव गांधी हत्याकांड मामले की जांच में धीमी प्रगति से नाखुश थीं. केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री के वी थॉमस की किताब […]
नयी दिल्ली : एक केंद्रीय मंत्री की लिखी किताब में दावा किया गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव के रिश्ते तनावपूर्ण थे क्योंकि सोनिया राजीव गांधी हत्याकांड मामले की जांच में धीमी प्रगति से नाखुश थीं.
केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री के वी थॉमस की किताब सोनिया….द बीलव्ड ऑफ द मासेज में कहा गया है कि अगस्त 1995 में जब सोनिया ने सार्वजनिक रुप से अपनी नाराजगी जाहिर की तो एक तरह से यह दो साल बाद सक्रिय राजनीति में उनके प्रवेश की पृष्ठभूमि थी.पूर्व केंद्रीय मंत्री नटवर सिंह भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि सोनिया और राव के रिश्ते सामान्य नहीं थे. उन्होंने बताया था कि मई 1995 में एक रात राव ने उन्हें फोन कर बताया था कि उन्होंने (सोनिया ने) किस तरह उनका (राव का) अपमान किया था.
थॉमस ने अपनी किताब में 20 अगस्त 1995 को राजीव गांधी के जन्मदिन पर सोनिया द्वारा दिए गए भाषण का संदर्भ देते हुए कहा है कि उनके (सोनिया के) शब्दों से पूरे देश को पीड़ा हुई थी. किताब में थॉमस ने लिखा है इसीलिए सोनिया ने सरकार पर उंगली उठाई थी. वह राव की करीबी नहीं थीं. राजीव की हत्या के मामले की जांच में हो रहे अत्यधिक विलंब से व्यथित सोनिया ने सवाल किया कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के मामले की जांच में इतना अधिक समय लग रहा है तो आम आदमी का क्या होगा जो न्याय की खातिर लड़ता है.
थॉमस ने अपनी किताब में कहा है कि इसे सरलीकृत रुप से यह नहीं समझा जाना चाहिए कि यह न्याय दिलाने की प्रक्रिया की सुस्त रफ्तार के विरोध में कोई बयान था. जब कांग्रेस सत्ता में थी तो सोनिया की ओर से नरसिंह राव की यह कटु आलोचना वास्तव में उनकी निंदा थी. किताब के अनुसार, सोनिया को लगता था कि जब तक राव सत्ता में रहेंगे, राजीव की हत्या की जांच आगे नहीं बढ़ेगी.
उन्होंने कहा, उनका (सोनिया का) दृढ़ विश्वास था कि शायद किसी दूसरी एजेंसी ने राजीव की हत्या की साजिश रची और उसे लिट्टे के जरिये अंजाम दिया. यही वे हालात थे जिसने सोनिया को राजनीति में लाया. जब पार्टी की इमारत ढह रही हो तो वह खामोश कैसे रह सकती थीं. पिछले सप्ताह दिल्ली के एक दैनिक अखबार में नटवर सिंह ने अपनी डायरी की 13 मई 1995 की नोटिंग का जिक्र किया है जब नरसिंह राव रात में उन्हें अपने रेस कोर्स रोड स्थित आवास में बुलाया.
सिंह ने अखबार में अपनी डायरी की नोटिंग का जिक्र करते हुए लिखा रात करीब 9 बजे, पी वी दाखिल हुए, लेकिन वह बैठे नहीं. आम तौर पर अविचलित रहने वाले पी वी परेशान और विचलित नजर आ रहे थे. उन्होंने कहा मुझे अभी अभी उनका (सोनिया का) पत्र मिला. मैंने कहा, मैंने उसे नहीं देखा है. प्रतीत हो रहा था मानो दोनों के बीच राजीव गांधी की हत्या के मामले की सुनवाई को लेकर पत्रों के माध्यम से युद्ध चल रहा हो. पूर्व विदेश मंत्री के मुताबिक, राव ने जो कुछ कहा वह इतना अप्रत्याशित था कि उनके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे.
तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था, मैं उनसे नहीं निबट सकता. मैं उनसे निबट सकता हूं. मैं ऐसा नहीं करना चाहता. आखिर वह मुझसे क्या अपेक्षा करती हैं? उन दिनों नटवर सिंह राव के मंत्रिमंडल में कनिष्ठ मंत्री थे. बाद में उनके बीच मतभेद हो गए थे. सिंह ने राव को सोनिया गांधी से मिलने का सुझाव दिया था. तब राव ने कहा मैं कितनी बार उनसे मिलूं ? यह मेरे आत्मसम्मान का सवाल है. उनके व्यवहार मेरे स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है. कितनी बार मेरा अपमान किया जाएगा ? सिंह ने तब राव से कहा कि उन्होंने सोनिया से कभी राव के बारे में बात नहीं की लेकिन उन्हें (सोनिया को) ऐसा लगता है कि उनके पति की हत्या के मामले की जांच अपेक्षित गति से आगे नहीं बढ़ रही है.
अखबार में सिंह ने लिखा कि राव ने उन्हें सरकार के सभी कदमों के बारे में बताया. उसमें पी चिदंबरम को मामले की जांच का प्रभारी बनाने की भी बात शामिल थी. अगर वह सोचती हैं कि मेरे हटने से सब ठीक हो जाएगा तो मैं हटने के लिए तैयार हूं.