जयललिता के निधन के बाद सबकी निगाहें शशिकला पर, जानें ऐसा क्यों…

चेन्नई : 75 दिन बीमारी से जंग लड़ने के बाद 68 साल की जे. जयललिता ने बीती रात 11.30 बजे अंतिम सांस ली. छह बार तमिलनाडु की सीएम रहीं जयललिता 22 सितंबर से अपोलो अस्पताल में भर्ती थीं. उन्हें लंग इन्फेक्शन था.उनके निधन के कुछ ही घंटों के अंदरफाइनेंस मिनिस्टर ओ. पन्नीरसेल्वम (65) ने अगले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2016 8:38 AM

चेन्नई : 75 दिन बीमारी से जंग लड़ने के बाद 68 साल की जे. जयललिता ने बीती रात 11.30 बजे अंतिम सांस ली. छह बार तमिलनाडु की सीएम रहीं जयललिता 22 सितंबर से अपोलो अस्पताल में भर्ती थीं. उन्हें लंग इन्फेक्शन था.उनके निधन के कुछ ही घंटों के अंदरफाइनेंस मिनिस्टर ओ. पन्नीरसेल्वम (65) ने अगले सीएम के रूप में शपथ ले ली है. वे जब शपथ ले रहे थे तो उनकी जेब में जयललिता का फोटो था. लेकिन तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता की करीबी शशिकला को नहीं भूला जा सकता है. शशिकला और जयललिता का साथ शरीर और आत्मा का था. जयललिता को कब क्या चाहिए, क्या पहनेंगी, सबका प्रबंधन शशिकला की देखरेख में होता था. यही कारण है कि वह जयललिता की भरोसेमंद बनीं. जानकारों की मानें तो जयललिता की उत्तराधिकारी शशिकला बन सकती हैं. आइए जानते हैं एक नजर में जानकार ऐसा क्यों मान रहे हैं…

शशिकला के भतीजे की शादी और जयललिता

मुख्यमंत्री के तौर पर 1991 से 1996 तक के जयललिता के पहले कार्यकाल में शशिकला संविधान से परे एक शक्ति के तौर पर काम को अंजाम देने लगीं. यही कारण है कि उनके परिवार से जयललिता का संबंध बढता गया. शशिकला के भतीजे वीएन सुधाकरन को जया ने अपना दत्तक पुत्र बनाया. 1995 में वीएन सुधाकरन की शादी हुई जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई. इस शादी पर 100 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो शशिकला के प्रभाव के चलते ही जयललिता ने वीएन सुधाकरन को अपना दत्तक पुत्र बनाया.

शशिकला को जब जयललिता ने दिखायाबाहरका रास्ता

1996 के आम चुनाव में वीएन सुधाकरन की शादी की वजह से जयललिता की पार्टी को राज्य की सभी 39 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा. इससे घबराई जयललिता ने शशिकला और उनके परिवार से दूरी बना ली. इतना ही नहीं सुधाकरन को दत्तक पुत्र मानने से भी इनकार कर दिया. 17 दिसंबर 2011 को जयललिता ने शशिकला और उनके परिवार को अपने घर और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया हालांकि, यह अलगाव भी मात्र 100 दिन ही चला.

जब राजनीतिक मित्रों नेजयललिता को चेताया

जानकारों की मानें तो तमिलनाडु के एक छोटे से गांव से आरामदायक जिंदगी जीने का सपना लेकर शशिकला चेन्नई पहुंची थीं और राजनीति में अपनी जगह बनाई, हालांकि 2011 में जयललिता और शशिकला की दोस्ती में दरार पड़ने की शुरुआत हो चुकी थी.कुछ राजनीतिक मित्रों ने जयललिता को शशिकला से सावधान रहने को कहा, क्योंकि इससे निवेश पर खराब प्रभाव पड़ने की आशंका थी.इसवाकया के बाद जयललिता, शशिकला के प्रति ज्यादा सावधान नजर आने लगीं थीं.

फिल्में देखना ज्यादा रास आताहैशशिकला को

तमिलनाडु में तंजौर जिले के मन्नारगुडी गांव में पैदा हुई शशिकला को बचपन में स्कूल जाने के बजाए फिल्में देखना ज्यादा रास आता था. यही वजह है कि पढ़ाई तो उन्होंने शुरुआत में ही छोड़ दी और उनका नाता फिल्मों से नाता गहरा होता चला गया. शशिकला के माता-पिता ने तमिलनाडु सरकार में जनसंपर्क अधिकारी की मामूली नौकरी करने वाले एम नटराजन के साथ उनका विवाह कर दिया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और राजनीति में अपनी जगह बनायी. उन्होंने अपने काम के कारण ही जयललिता के दिल में जगह बनाई और उनके हर काम में मदद की. इसी वजह से उनको जयललिता के उत्तराधिकारी के तौर पर जानकार देखते हैं.

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