जब ”अम्मा के जादू” के सामने ”मोदी की आंधी” भी नहीं चली…
नयी दिल्ली: जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते हुए आखिरकार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री व एआइडीएमके प्रमुख जे जयललिता ने सोमवार की रात दम तोड़ दिया. उन्होंने रात 11:30 बजे अंतिम सांस ली और उसके बाद उनका लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटा लिया गया. वह गत 22 सितंबर से अपोलो अस्पताल में भरती थीं. रविवार की […]
नयी दिल्ली: जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते हुए आखिरकार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री व एआइडीएमके प्रमुख जे जयललिता ने सोमवार की रात दम तोड़ दिया. उन्होंने रात 11:30 बजे अंतिम सांस ली और उसके बाद उनका लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटा लिया गया. वह गत 22 सितंबर से अपोलो अस्पताल में भरती थीं. रविवार की शाम गंभीर दिल का दौरा पड़ा था. उनकी मृत्यु की घोषणा के ठीक पहले पार्टी मुख्यालय पर अन्नाद्रमुक विधायकों की जयललिता के उत्तराधिकारी को चुनने के लिए बैठक हुई. जयललिता के वफादार ओ पन्नीरसेल्वम ने उनकी जगह ली. जयललिता के निधन के बाद छह दिसंबर से तमिलनाडु में सात दिनों का राजकीय शोक की घोषणा की गयी है. राज्य के शिक्षण संस्थानों में तीन दिनों की छुट्टी रहेगी.
मोदी की आंधी जयललिता के सामने नहीं चली
दक्षिण भारत में जयललिता को उनके समर्थक ‘भगवान’ की तरह पूजते हैं. अम्मा के नाम से जानी जाने वाली जयललिता के प्रशंसक उन पर आंख बंद कर भरोसा करते थे. तमिलनाडु की राजनीति में 68 साल की जयललिता के करिश्माई व्यक्तित्व का अंदाजा इसी बात से भी लगाया जा सकता है कि जब 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी आंधी चल रही थी तो उन्होंने इस आंधी को अपने राज्य में प्रवेश करने नहीं दिया. सूबे में जयललिता की पार्टी को 39 में 37 सीटों पर जीत मिली थी. उनके इस अंदाज से नरेंद्र मोदी भी प्रभावित हुए.
ये है अम्मा प्रभाव
तमिलों के बीच अम्मा के नाम से लोकप्रिय जयललिता ने अपने पांच साल के कार्यकाल में जनता के लिए काफी काम किए. जयललिता ने ‘अम्मा कैंटीन’ शुरू की थी जहां बेहद कम दामों पर उच्च कोटी का भोजन गरीबों को मुहैया कराया जाता है. इतना ही नहीं जयललिता ने अपने शासन के दौरान जनता के लिए अम्मा नाम से एक नए ब्रांड ही शुरूआत की और तमिलनाडु में अम्मा मिनरल वॉटर, अम्मा सब्जी की दुकान, अम्मा फार्मेसी यहां तक कि अम्मा सीमेंट भी सस्ती कीमत पर बाजार में उपलब्ध होने लगे.