नयी दिल्ली : उड़ी में सेना के बेस कैंप पर हमला करने के पहले आतंकियों के गाइड 10वीं क्लास के स्कूली बच्चे घाटी में भटक रहे हैं. यह खुलासा इन बच्चों के अभिभावक और स्कूल ने किया है. अंग्रेजी के अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने स्कूल और बच्चों के अभिभावकों से बातचीत के आधार पर प्रकाशित खबर में विदेश मंत्रालय के हवाले से खुलासा करते हुए इस बात का दावा भी किया है कि इन स्कूली बच्चों में से दो ने पाकिस्तान के आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को उड़ी में सेना के बेस कैंप पर हमला करने के पहले रास्ता दिखाने का काम किया था.
अखबार की खबर के मुताबिक, अभी हाल ही में सेना ने 12 इंफैंट्ररी ब्रिग्रेड के मुख्यालय पर हमला करने वाले दो पाकिस्तानियों को गिरफ्तार किया है, जिसने इस बात का खुलासा किया है कि उन्हें रास्ता दिखाने वाले 10वीं के बच्चे अब भी सीमा पार कर भारत के हिस्से में भटक रहे हैं. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के पोठा जांदग्रन के पास के गांव कूमी कोट का रहने वाला फैसल हुसैन अवान और उसका स्कूली दोस्त तथा मुजफ्फराबाद के हैट्टियन तहसील के गांव खिलयाना खुर्द निवासी एहसान खुर्शीद बीते 21 सितंबर को हमले के तीन दिन बाद ही गिरफ्तार किये गये थे. उन्होंने 19 जवानों के जिंदा होने का दावा किया था. इन दोनों गांवों से महज एक घंटे में उड़ी के पास सीमा पार कर भारत के हिस्से में पहुंचा जा सकता है.
… तो क्या गलती से एलओसी पार कर गया फैसल अवान?
फैसल अवान के भाई और लाहौर के फिजिशियन गुलाम मुस्तफा तबस्सुम ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि गायब हुए छात्रों में से दो 17 सितंबर को घर पहुंच गये थे. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जीपीएस डाटा के माध्यम से आतंकवादियों को सीमा पार करते हुए पिछले सप्ताह ही पकड़ा था. लाहौर के फिजिशियन और फैसल अवान के भाई मुस्तफा तबस्सुम ने अखबार से कहा है कि मैं किसी तरह के विवाद या दोषारोपण करने के फेर में नहीं पड़ना चाहता. तभी मैंने यह सोचा कि क्यों नहीं मीडिया से संपर्क किया जाए. आखिरकार मैं उसका बड़ा भाई हूं और एक तरह से मेरे ऊपर उसके पालने-पोसने की भी जिम्मेवारी है. मैं केवल यह चाहता हूं कि भारत के लोग इसे पढ़ें और उन बच्चों को घर भेजने में मदद करें.
साइंस का बेहतरीन छात्र है फैसल अवान
वहीं, मुजफ्फराबाद में शाहीन मॉडल स्कूल के प्रिंसिपल बशरत हुसैन का कहना है कि अवान साइंस का छात्र रहा है, जिसने 10वीं की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन से पास किया है. स्कूल के अधिकारी अवान के मार्कशीट भी दिखाते हैं, जिसमें उसे 525 में से 328 अंक मिला है. स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है अवान उनके स्कूल का एक चर्चित चेहरा है और छात्र उसे आदर के भाव और दोस्ताना अंदाज में देखते हैं. बशरत बताते हैं कि वह प्रतिदन छह घंटे अपने स्कूल में ही बिताता था. उसका व्यवहार काफी मिलनसार था.
स्कूल प्रबंधन की ओर से उपलब्ध कराये गये दस्तावेजों के अनुसार, यह दोनों स्कूली छात्र अभी 16 साल के कम उम्र के हैं, जिन पर भारतीय संविधान के हिसाब से बाल अपराधी का मामला बनता है. उनके स्कूल के प्रिंसिपल बशरत हुसैन का कहना है कि मुझे नहीं पता कि ये दोनों दोस्त इस समय कहां हैं, पर यह चौंकाने वाली बात नहीं है, क्योंकि ये दोनों एक ही स्कूल में पढ़ने वाले समान पृष्ठभूमि के छात्र हैं.
इंडियन एक्सप्रेस को ई-मेल से मिला जवाब
उड़ी हमले के बाद 24 सितंबर को भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के दो लोगों को जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने का दावा किया था, उनमें से एक ने द इंडियन एक्सप्रेस को ई-मेल के जरिये जवाब दिया कि यह खुलासा स्पॉट पूछताछ के आधार पर किया था. हालांकि, इस ई-मेल में इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि इन दो बच्चों को सेना ने कहां से गिरफ्तार किया है.
कोर्ट में सौंपी जायेगी जांच रिपोर्ट : एनआईए
एनआईए के प्रवक्ता का कहना है कि जांच एजेंसी उपलब्ध साक्ष्यों और दस्तावेजों के आधार पर मूल्यांकन करने की प्रक्रिया में जुटी हुई है और इसकी फाइन रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी जायेगी. उन्हेंने कहा कि गिरफ्तार कम उम्र के दो लोगों के बयान लेकर भी रिकॉर्ड किया जा चुका है, लेकिन उन्हें सीधे तौर पर कम उम्र के बच्चे भी नहीं कहा जा सकता. हालांकि, सूत्र यह भी बताते हैं कि इन दोनों बच्चों के मामले में अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि इनका संबंध उड़ी हमले से जुड़ा है.
हमले के बाद इसके लिए लश्कर-ए-तय्यबा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था, न कि इसके बाद जैश-ए-मोहम्मद ने इसे लेकर दावा किया था, जब आतंकवादियों के एक समूह द्वारा हमले में शामिल आतंकियों का अंतिम संस्कार किया जा रहा था. एनआईए के सूत्रों का कहना है कि हमले में लश्कर के अन्य लोगों का उपयोग किया गया.
महिला डॉक्टर के खाते की भी की गयी जांच
एनआईए सूत्रों का कहना है कि जांचकर्ताओं द्वारा दो और खातों की जांच की गयी, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में कार्यरत एक महिला डॉक्टर का है, जो इस हमले में शामिल बतायी जाती है, जिसने आतंकियों को उड़ी में सेना के बेस कैंप के टेंटों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराया था. 03 अक्तूबर को दिये बयान में एनआईए ने दावा किया था कि सेना के मुख्यालय पर हमला करने वालों में जिन चार लोगों को पकड़ा गया है उनमें से एक अवान की पहचान हाफिज अहमद के रूप में की गयी है. उसने खुद पश्चिम मुर्री के धारबंग गांव के फिरोज का बेटा बताया था. एनआईए ने कहा कि फिलहाल दो लोगों से पूछताछ का काम पूरा हो गया है. एनआईए ने नयी दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त को सौंपे दस्तावेजों में उड़ी हमलों में दो किशारों के शामिल होने का आरोप लगाया था.
फैसल की मां का है बुरा हाल
अवान के भाई मुस्तफा तबस्सुम कहते हैं कि जब अवान की मां जीरो बेगम को उसके गिरफ्तार होने की सूचना मिली है, तभी से वह हैरान है. उसका रो-रोकर बुरा हाल है और लगातार यह कह रही है कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है. वह यह सोचने पर मजबूर है कि आखिर उसका बेटा ऐसे कैसे कर सकता है. उसने ऐसा कैसे किया. वह क्या खाता होगा, कैसे सोता होगा. यह उसके लिए काफी मुश्किल भरा है, क्योंकि वह अपने घर में सबसे छोटा है और परिवार के लोग उसे काफी प्यार करते हैं. तबस्सुम कहते हैं कि अवान के पिता गुल अकबर बढ़ई का काम करते थे, लेकिन बुजुर्ग होने के कारण अब उन्होंने यह काम करना छोड़ दिया है. वे बताते हैं कि एहसान खुर्शीद की मां को उसके बेटे के गिरफ्तार होने की बात पर भरोसा ही नहीं हो रहा है. उसके पिता सऊदी अरब में कूक का काम करते हैं.
घर में फैला है अशांति का माहौल
द इंडियन एक्सप्रेस ने लाहौर में अवान के भाई मुस्तफा तबस्सुम की तलाश कर इंटरनेट सेवा के जरिये वाइस ओवर कर उनका साक्षात्कार लिया है. मुस्तफा तबस्सुम ने पाकिस्तानी सरकार की ओर से मिले वजीफे के बाद क्यूबा में रहकर मेडिकल स्कूल से स्नातक की पढ़ाई की है. पिछले दो महीने से उनके घर में अशांति का माहौल है, जबसे उनका भाई भारत के जेल में कैद है. वह पिछली दफा ईद-उल-अदहा की छुट्टियों में घर आया था. तबस्सुम ने कहा कि 20 सितंबर को वह फैसल अवान अपने स्कूल में देर तक नहीं पहुंचा था. दोपहर बाद अवान को आखिरी बार पीर कैंथ श्राईन के आसपास देखा गया था. लड़के बताते हैं कि हो सकता है कि वह शॉर्टकट रास्ते के चक्कर में लाइन ऑफ कंट्रोल पार करके रास्ता भटक गया होगा. उनका कहना है कि जब वह मगरीब के नमाज के समय नहीं आया, तो घर में अशांति फैल गयी, क्योंकि वह अकेले कभी भी रिश्तेदारों को छोड़कर घर से बाहर नहीं रहा है. हमने अपने आसपास में उसे खोजने का काफी प्रयास किया, लेकिन वह कहीं नहीं मिला.
22 सितंबर को अवान के परिजनों ने दर्ज कराई शिकायत
अवान के गांव पोठा जांदग्रन मुजफ्फराबाद से छत्तर गांव होते हुए सड़क मार्ग से किसी सवारी के जरिये करीब आधे घंटे में पहुंचा जा सकता है. दो दिनों तक अवान के घर नहीं पहुंचने पर उसके परिवार के लोगों ने सोचा कि हो सकता है कि वह रावलपिंडी चला गया होगा. उन्होंने 22 सितंबर को मुजफ्फराबाद में उसके गायब होने की शिकायत भी दर्ज करायी है. हालांकि एहसान खुर्शीद का गांव चिनारी पुलिस थाना क्षेत्र में पड़ता है, जो कमान पोस्ट से करीब आधे घंटे के रास्ते पर बसा है और यह उड़ी के लाइन ऑफ कंट्रोल से काफी नजदीक है और यहां पर उस बच्चे की तलाश करने में सफलता हासिल की जा सकती है.
लाइन ऑफ कंट्रोल पार करने के दर्जनों मामले हुए हैं दर्ज
मुजफ्फराबाद के सदर पुलिस थाने के सहायक सब-इंस्पेक्टर रियाज हुसैन ने कहा कि परिवार की ओर से मुर्री के स्कूल से घर लौटने के दौरान बच्चे के लापता होने की शिकायत दर्ज करायी गयी है. कभी-कभार ऐसा होता है कि लोग भूलवश लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर जाते हैं. जम्मू-कश्मीर में पुलिस के रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले पांच सालों के दौरान लाइन ऑफ कंट्रोल पार करने के ऐसे दर्जनों मामले दर्ज किये गये हैं. उड़ी हमले के बाद 20 सितंबर को दो बच्चों के लापता होने के उड़ी के आसपास के गांवों के लोगों ने लाइन ऑफ कंट्रोल को पार कर भारत की सीमा में बच्चों के भटकने की आशंका से इनकार किया है.