नरसिंह राव से क्यों नाराज थीं सोनिया

सोनिया ने कई बार अपमानित किया था कद्दावर कांग्रेस नेता को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण थे, क्योंकि सोनिया, राजीव गांधी हत्याकांड मामले की जांच में धीमी प्रगति से नाखुश थीं. दिल्ली : केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री केवी थॉमस की किताब ‘सोनिया! द बीलव्ड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2014 6:09 AM

सोनिया ने कई बार अपमानित किया था कद्दावर कांग्रेस नेता को

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण थे, क्योंकि सोनिया, राजीव गांधी हत्याकांड मामले की जांच में धीमी प्रगति से नाखुश थीं.

दिल्ली : केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री केवी थॉमस की किताब ‘सोनिया! द बीलव्ड ऑफ द मासेज’ से एक नया विवाद खड़ा हो सकता है. पुस्तक में कहा गया है कि सोनिया गांधी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव को कई बार बेइज्जत किया था.

अगस्त, 1995 में सोनिया ने राजीव गांधी हत्याकांड की जांच की धीमी प्रगति पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर की. यह एक तरह से दो साल बाद सक्रिय राजनीति में उनके प्रवेश की पृष्ठभूमि थी. थॉमस ने 20 अगस्त, 1995 को राजीव गांधी के जन्मदिन पर सोनिया के भाषण का संदर्भ देते हुए लिखा है कि उनके (सोनिया गांधी के) शब्दों से पूरे देश को पीड़ा हुई थी.

थॉमस ने लिखा है कि वह राव की करीबी नहीं थीं.

राजीव की हत्या मामले की जांच में अत्यधिक विलंब से व्यथित सोनिया ने सवाल किया कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या मामले की जांच में इतना समय लग रहा है, तो आम आदमी के मामले में क्या होगा. थॉमस ने लिखा है कि इसे यह नहीं समझा जाना चाहिए कि यह न्याय दिलाने की प्रक्रि या की सुस्त रफ्तार के विरोध में बयान था.

जब कांग्रेस सत्ता में थी, सोनिया की ओर से राव की आलोचना वास्तव में उनकी निंदा थी. किताब के अनुसार, सोनिया को लगता था कि जब तक राव सत्ता में रहेंगे, राजीव की हत्या की जांच आगे नहीं बढ़ेगी.

नटवर सिंह ने भी की थी पुष्टि : पूर्व केंद्रीय मंत्री नटवर सिंह भी इसकी पुष्टि कर चुके हैं कि सोनिया और राव के रिश्ते सामान्य नहीं थे. उन्होंने बताया था कि मई, 1995 में एक रात राव ने उन्हें फोन कर बताया था कि उन्होंने (सोनिया ने) किस तरह उनका (राव का) अपमान किया था. सिंह ने एक अखबार में अपनी डायरी की नोटिंग का जिक्र करते हुए लिखा कि रात करीब नौ बजे पीवी दाखिल हुए, लेकिन वे बैठे नहीं.

आमतौर पर अविचलित रहनेवाले पीवी परेशान और विचलित थे. उन्होंने कहा कि मुङो अभी-अभी उनका (सोनिया का) पत्र मिला. मैंने कहा कि मैंने उसे नहीं देखा है. प्रतीत हो रहा था, मानो दोनों के बीच राजीव गांधी की हत्या के मामले की सुनवाई को लेकर पत्रों के माध्यम से युद्ध चल रहा हो. पूर्व विदेश मंत्री के मुताबिक, राव ने जो कहा, इतना अप्रत्याशित था कि उनके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था कि मैं उनसे नहीं निबट सकता.. मैं उनसे निबट सकता हूं.. पर, मैं ऐसा नहीं करना चाहता. आखिर वे मुझसे क्या अपेक्षा करती हैं? उन दिनों नटवर सिंह राव के मंत्रिमंडल में कनिष्ठ मंत्री थे. बाद में उनके बीच मतभेद हो गये थे.

सिंह ने राव को सोनिया गांधी से मिलने का सुझाव दिया था. तब राव ने कहा, ‘मैं कितनी बार उनसे मिलूं? यह मेरे आत्मसम्मान का सवाल है. उनके व्यवहार से मेरे स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है. कितनी बार मेरा अपमान किया जायेगा?’ सिंह ने तब राव से कहा कि उन्होंने सोनिया से कभी राव के बारे में बात नहीं की, लेकिन उन्हें (सोनिया को) ऐसा लगता है कि उनके पति की हत्या मामले की जांच अपेक्षित गति से नहीं बढ़ रही है.

अखबार में सिंह ने लिखा कि राव ने उन्हें सरकार के सभी कदमों के बारे में बताया. उसमें पी चिदंबरम को मामले की जांच का प्रभारी बनाने की भी बात शामिल थी. अगर वे सोचती हैं कि उनके हटने से सब ठीक हो जायेगा, तो वह हटने के लिए तैयार हैं.

भाजपा को भाने लगे हैं राव

भाजपा का कांग्रेस में गांधी परिवार की ‘छाया’ तले दबे नेताओं की तारीफ का सिलसिला जारी है. गांधी-नेहरू परिवार से बाहर के पहले पीएम पीवी नरसिंह राव, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया, को इंदिरा व राजीव गांधी से बेहतर बताया गया है. नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों पर लिखी एक किताब की लांचिंग पर अरु ण जेटली ने कहा कि अर्थव्यवस्था में बदलाव का श्रेय राव को है.

जेटली ने राव को कांग्रेस प्रधानमंत्रियों की कतार में आगे खड़ा करते हुए कहा कि 1970-80 के दशक में अवसर गंवाये गये. इन दिनों भाजपा कांग्रेस के उन नेताओं के नाम भुना रही है, जिन्हें कांग्रेस में सम्मान नहीं मिला. मोदी ने सरदार पटेल की विरासत पर दावा ठोंक दिया है. इस पर राहुल गांधी व मोदी में जुबानी जंग होती रही है. भाजपा ने शास्त्री, प्रणब मुखर्जी को भी इस कड़ी में जोड़ा है.

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