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तीन तलाक मामले में इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले को मिली सराहना

नयी दिल्ली: तीन तलाक के मामले पर फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाइकोर्ट ने टिप्पणी की है कि तीन तलाक ‘क्रूर’ है और इसने एक सवाल को जन्म दिया है कि क्या मुसलिम महिलाओं के कष्ट को दूर करने के लिए मुसलिम पर्सनल लॉ में संशोधन किया जा सकता है. महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा […]

नयी दिल्ली: तीन तलाक के मामले पर फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाइकोर्ट ने टिप्पणी की है कि तीन तलाक ‘क्रूर’ है और इसने एक सवाल को जन्म दिया है कि क्या मुसलिम महिलाओं के कष्ट को दूर करने के लिए मुसलिम पर्सनल लॉ में संशोधन किया जा सकता है.

महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा राज ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि कहा कि कोई भी महिलाओं की व्यथा को नहीं समझता. हाइकोर्ट ने स्वागत योग्य कदम उठाया है. यह महिलाओं के मनोबल को ऊपर उठाने में मदद करेगा. हालांकि, अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि इसलाम में तलाक की अनुमति अत्यंत आपात स्थिति में ही है. जब सुलह के सारे प्रयास विफल हो गये हों तब पक्ष तलाक या खुला के जरिये शादी को खत्म करने के लिए आगे बढ़ सकते हैं.

ऑल इंडिया मुसलिम वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड ने गुरुवार को तीन तलाक पर इलाहाबाद हाइकोर्ट की टिप्पणी को स्वागतयोग्य कदम बताया. ऑल इंडिया मुसलिम वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने इससे पहले समान नागरिक संहिता पर आपत्ति जतायी थी. हालांकि, गुरुवार को उन्होंने कहा कि तीन तलाक की प्रथा अनुचित है. उन्होंने कहा कि यह अत्याचार है, अल्लाह का कोई भी कानून अत्याचार बर्दाश्त नहीं करता है.

भाजपा ने भी सराहा

तीन तलाक पर इलाहाबाद हाइकोर्ट की टिप्पणी की सराहना करते हुए भाजपा राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा इस प्रथा का समर्थन कर रहे राजनैतिक दल समाज को धर्म के नाम पर बांटने से बचें. हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. कोर्ट का फैसला महिलाओं की हित में है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आगाह किया कि धर्म को बांट कर इसे वोट बैंक की राजनीति न बनाये.

महिला के अधिकारों को नकारना शरिया के खिलाफ: अकबर

केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने गुरुवार को कहा है कि लैंगिक अधिकारों को नकारना शरिया कानून के खिलाफ है और कोई भी देश लैंगिक स्वतंत्रता के बिना आधुनिक नहीं हो सकता. लैंगिक अधिकारों को नकारना शरिया के खिलाफ है. जो भी कुरान के कानून की गहरी समझ रखता है, वह कभी इसपर तर्क-वितर्क करने की हिम्मत नहीं करेगा. आपने कानून को मर्दाना गुस्से में बदल दिया है और कुरान की इसपर खासतौर से मनाही है. कोई भी देश लैंगिक स्वतंत्रता और प्रगति के बिना आधुनिक नहीं बन सकता. विदेश मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री एम जे अकबर दक्षेस विश्वविद्यालय में दक्षेस चार्टर दिवस के अवसर पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि एक आधुनिक देश के लिए लैंगिक समानता से इतर, विचार, अभिव्यक्ति, राजनीतिक व्याख्या या गैर-राजनीतिक व्याख्या की स्वतंत्रता अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि किसी पंथ को मानने की स्वतंत्रता में किसी पंथ को न मानने की स्वतंत्रता भी शामिल है. इसमें नास्तिक होने की स्वतंत्रता शामिल है.

एआइएमपीएलबी ने किया खारिज

ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला सुनायेगा. ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी ने हाइकोर्ट की टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा है कि तीन तलाक का मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है, इसलिए वही फैसला होगा. उन्होंने कहा कि तीन तलाक का मुद्दा सिर्फ मुसलिमों तक सीमित नहीं है. यह उन सभी धार्मिक इकाइयों का सवाल है जिन्हें संविधान के तहत अपनी आस्था और धर्म का पालन करने का अधिकार दिया गया है.

कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

इसलाम में तलाक केवल अति आपात स्थिति में ही देने की अनुमति है, जब मेल – मिलाप के सारे प्रयास विफल हो जाते हैं.

यह भ्रम है कि पति के पास कुरान के तहत शादी को खत्म करने की स्वच्छंद ताकत है.

कुरान पत्नी को तब तक तलाक देने के बहाने से व्यक्ति को मना करता है जब तक वह विश्वसनीय और पति की आज्ञा का पालन करती है.

इसलामिक कानून व्यक्ति को मुख्य रूप से शादी तब खत्म करने की इजाजत देता है जब पत्नी का चरित्र खराब हो, जिससे शादीशुदा जिंदगी में नाखुशी आती है.

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