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राष्‍ट्रपति की अपील का प्रभाव भी नहीं दिखा सदन में, लोकसभा की कार्यवाही 14 दिसंबर तक स्थगित

नयी दिल्ली : लोकसभा में आज भी नोट बंदी मामले को लेकर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया. सत्तारुढ भाजपा ने संसद में कामकाज में व्यवधान पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तल्ख टिप्पणी का हवाला देते हुए विपक्ष से कार्यवाही में रुकावट डालने के लिए माफी मांगने की मांग की. इस मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष […]

नयी दिल्ली : लोकसभा में आज भी नोट बंदी मामले को लेकर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया. सत्तारुढ भाजपा ने संसद में कामकाज में व्यवधान पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तल्ख टिप्पणी का हवाला देते हुए विपक्ष से कार्यवाही में रुकावट डालने के लिए माफी मांगने की मांग की. इस मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी के कारण लोकसभा में प्रश्नकाल नहीं चल सका. संसद में कामकाज में व्यवधान के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्षी के बीच तनातनी के कारण लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की बैठक सुबह शुरू होने के कुछ ही देर बाद ही आधे घंटे के लिए और दोबारा 11 बजकर 35 मिनट पर दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. 12 बजे जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही पुन: शुरू हुई हंगामे का दौर फिर चल पड़ा जिसके कारण सदन की कार्यवाही 14 दिसंबर तक के लिए स्थगित करनी पड़ी. राज्यसभा में भी नजारा कुछ ऐसा ही दिखा.

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साढे ग्यारह बजे लोकसभा में संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि हम अभी चर्चा के लिए तैयार हैं. विपक्ष की ओर से पिछले 16 दिनों से व्यवधान डाला जा रहा है, सदन में कामकाज को बाधित किया जा रहा है. राष्ट्रपति जी ने भी कहा है कि यह तरीका ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदल सदन के कामकाज में व्यवधान डाल रहे हैं. इस तरह से व्यवधान डालने के लिए विपक्ष देश की जनता से माफी मांगे. पहले वे देश की जनता से माफी मांगें। देश की जनता का पैसा बर्बाद क्यों किया, वे (विपक्ष) बतायें.

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भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि राष्ट्रपति जी ने सदन में व्यवधान को लेकर टिप्पणी की है कि जिस तरह का व्यवहार विपक्ष के नेता कर रहे हैं, उससे सदन का कामकाज बाधित हो रहा है. व्यवधान की अनुमति नहीं दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि धरना प्रदर्शन के लिए कोई और स्थान देखें, धरने के लिए जंतर मंतर पर जाएं. इस प्रकार से बहुमत की आवाज नहीं दबाई जा सकती है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदलों के सदस्य अपने स्थान से कुछ कहना चाह रहे थे लेकिन हंगामे में उनकी बात नहीं सुनी जा सकी.

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इससे पहले सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे कुछ कहना चाह रहे थे लेकिन भाजपा सदस्यों ने कहा कि राष्ट्रपति ने सदन में व्यवधान को लेकर तल्ख टिप्पणी की है. विपक्ष की ओर से व्यवधान डालना ठीक नहीं है.

अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि दोनों ओर से शोर शराबे में वे किसी की बात नहीं सुन पायेंगी. इसलिए शांत रहें. लेकिन सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्य अपनी बात कहते रहे.

उल्लेखनीय है कि संसद में जारी गतिरोध के मुद्दे पर विपक्ष को आडे हाथ लेते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कल एक कार्यक्रम में कहा था कि सदन धरना-प्रदर्शन और ऐसी बाधा पैदा करने की जगह नहीं है जिसमें अल्पमत द्वारा ‘‘बहुमत की आवाज दबा दी जाए.’ प्रणब ने कहा था कि विपक्ष का काम सदन को बाधित करना नहीं, बल्कि चर्चा और कामकाज करना है. राष्ट्रपति ने कहा था, ‘‘संसदीय प्रणाली में कामकाज में बाधा डालना पूरी तरह अस्वीकार्य है. लोग अपने प्रतिनिधियों को बोलने के लिए भेजते हैं, धरने पर बैठने के लिए नहीं, और न ही सदन में दिक्कतें पैदा करने के लिए.’

राष्ट्रपति बनने से पहले दिग्गज सांसद रहे प्रणब ने कहा था, ‘‘बाधा पैदा करने का मतलब है कि आप चोट पहुंचा रहे हैं, आप बहुमत की आवाज दबा रहे हैं. सिर्फ अल्पमत ही सदन के बीचोंबीच आता है, नारेबाजी करता है, कार्यवाही रोकता है और ऐसे हालात पैदा करता है कि अध्यक्ष के पास सदन की कार्यवाही स्थगित करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता. यह पूरी तरह अस्वीकार्य है.’

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