मानवाधिकार दिवस: बालिका जननांग अंग भंग पर प्रतिबंध के लिए ऑनलाइन याचिका

मुंबई : बालिका जननांग अंग भंग (एफजीएम) का शिकार हुई दाउदी बोहरा समुदाय की महिलाओं के एक समूह ने इस प्रथा को खत्म करने की खातिर लोगों का समर्थन जुटाने के लिए एक याचिका की शुरुआत की है. एफजीएम वह प्रक्रिया है जिसमें महिला जननांग के बाहरी भाग को आंशिक या पूर्ण रुप से हटा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2016 1:43 PM

मुंबई : बालिका जननांग अंग भंग (एफजीएम) का शिकार हुई दाउदी बोहरा समुदाय की महिलाओं के एक समूह ने इस प्रथा को खत्म करने की खातिर लोगों का समर्थन जुटाने के लिए एक याचिका की शुरुआत की है. एफजीएम वह प्रक्रिया है जिसमें महिला जननांग के बाहरी भाग को आंशिक या पूर्ण रुप से हटा दिया जाता है. ऑनलाइन याचिका का उद्देश्य प्राचीन समय से चली आ रही इस प्रथा को खत्म करना है. ‘स्पीक आउट ऑन एफजीएम’ समूह ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस से पहले गुरुवार को चेंज डॉट ओआरजी पर यह याचिका डाली थी. मानवाधिकार दिवस आज मनाया जा रहा है.

समूह के एक वरिष्ठ सहायक ने कहा कि यह याचिका महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण से जुडी संयुक्त राष्ट्र की शाखा को सौंपी जाएगी.
समूह ने पिछले साल दिसंबर में भी ऐसी ही एक याचिका दी थी जिसे अब तक 80,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिली हैं. याचिका केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी को सौंपी गयी.
दिल्ली की एक कामकाजी महिला मसूमा रनाल्वी (50) ने कहा, ‘‘हमारा मुख्य उद्देश्य हर किसी को पिछले 1,400 वर्षों से देश में चली आ रही इस प्रथा से वाकिफ कराना है जो ना केवल शर्मनाक है बल्कि असंवैधानिक है और मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है.”
मसूमा ने कहा, ‘‘मुझे यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है कि बहुत छोटी उम्र में मेरा एफजीएम हुआ था लेकिन मैंने सुनिश्चित किया कि मेरी बेटी जोकि अब 22 साल की है, उसे इस बर्बरता का शिकार नहीं होना पडे.” उन्होंने कहा कि बोहरा समुदाय की 80 प्रतिशत से अधिक लडकियां इस ‘‘दर्दनाक” परंपरा से गुजरती है.
पुणे में रहने वाली समूह की वरिष्ठ सहयोगी और महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने वाले एनजीओ ‘यूनिवर्सिटी वीमेंस एसोसियेशन’ (यूडब्ल्यूए) की अध्यक्ष शबनम पूनावाला ने कहा, ‘‘हालांकि यह प्रथा अमेरिकी एवं कनाडा में भी है, वहां की सरकारें इस बुराई को खत्म करने के लिए कानून लेकर आयी हैं लेकिन बदकिस्मती से यहां कोई इसके बारे में बात नहीं करता, इसके उन्मूलन के लिए कानून लाने की बात तो भूल ही जायें” उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि सरकार इसका संज्ञान ले और हमारे साथ खडी हो.

वह समाज को पीछे की ओर ले जाने वाली इस प्रथा को खत्म करने के लिए कानून की घोषणा करे.” दिसंबर, 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एजीएम पर प्रतिबंध लगाने के लिए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एफजीएम को लडकियों एवं महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया है.

Next Article

Exit mobile version