AIADMK के वरिष्ठ नेताओं ने शशिकला से पार्टी की कमान संभालने का आग्रह किया
चेन्नई : जयललिता के निधन के बाद पार्टी में नेतृत्व को लेकर संकट खत्म हो गया पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने वी के शशिकला से आग्रह किया है कि वे जयललिता द्वारा दिखाये रास्ते पर पार्टी को आगे ले जायें. अन्नाद्रमुक ने आज कहा कि वह पार्टी की अहम सदस्य हैं और इसमें कुछ भी […]
चेन्नई : जयललिता के निधन के बाद पार्टी में नेतृत्व को लेकर संकट खत्म हो गया पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने वी के शशिकला से आग्रह किया है कि वे जयललिता द्वारा दिखाये रास्ते पर पार्टी को आगे ले जायें. अन्नाद्रमुक ने आज कहा कि वह पार्टी की अहम सदस्य हैं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है कि पार्टी नेताओं ने उनसे मुलाकात की. पार्टी ने साथ ही कहा कि जल्द ही अगला महासचिव चुन लिया जाएगा. पार्टी ने अगले महासचिव को लेकर मीडिया के एक धडे द्वारा किये जा रहे दावों को अफवाह और झूठ बताते हुए खारिज कर दिया.
शशिकला के साथ राज्य के मंत्रियों की मुलाकात के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में अन्नाद्रमुक के संगठन सचिव सी पोन्नययां ने बताया, ‘‘अगर कोई (पार्टी से जुडा हुआ) शशिकला अम्मा से मिलता है, तो इसमें बुरा क्या है? क्या वह पार्टी की अहम सदस्य नहीं हैं? आप जो कह रहे हैं, वह गलत है.’ अन्नाद्रमुक की अगुवाई वाली सरकार और पार्टी संगठन के बीच एक स्पष्ट रेखा खींचते हुए पार्टी मुख्यालय में उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि जहां सरकार की अगुवाई ओ पनीरसेल्वम कर रहे हैं, वहीं निवार्चित पार्टी पदाधिकारी संगठन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. पार्टी प्रवक्ता पोन्नययां ने कहा कि विभिन्न स्तरों के पदाधिकारियों के जरिए अन्नाद्रमुक आगे बढ रही है और शशिकला एक अहम सदस्य हैं.
उन्होंने साथ ही कहा कि चूंकि शशिकला पार्टी की क्रांतिकारी नेता जयललिता के अंतिम सांस तक उनके साथ रही, ऐसे में यह सवाल अनावश्यक है. पोन्निययां ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पार्टी जल्द ही महासचिव का चुनाव कर लेगी, जो पार्टी और कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा करेगा. पनीरसेल्वम ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली है पनीर जयललिता के बेहद करीबी थे. इससे पहले भी जब उन्हें एक महीने जेल में बितना पड़ा था तो पनीर ने ही मुख्यमंत्री पद संभाला था.
हालांकि पार्टी कमान को लेकर हमेशा से संदेह था कि कौन इसकी जिम्मेदारी संभालेंगा. शशिकला जयललिता के बेहद करीबी मानी जाती थी लेकिन उन पर आरोप लगा कि उन्होंने जयललिता को जहर देने की कोशिश की. इसके बाद से दोनों के बीच दूरी आ गयी थी. जयललिता के बीमार होने पर वो लगातार पार्टी की तरफ से कार्यकर्ता और नेताओं की बात लोगों तक पहुंचाती रही.
पार्टी के करीबी सूत्रों की मानें तो आम लोग शशिकला में जयललिता की छवि देखते हैं. वो जयललिता के बेहद करीबी रही हैं और उनके काम करने के तरीके को अच्छी तरह समझती है. जयललिता का लोगों को संबोधित करने और आम लोगों के लिए योजनाएं बनाने का तरीका बेहद अलग था. पार्टी ने इस उम्मीद के साथ शशिकला के तरफ पार्टी प्रमुख की कुरसी बढ़ायी है कि उनका जनाधार और पार्टी की लोकप्रियता को बनाये रखने में वो सफल होंगी