नोटबंदी: मोदी ने मांगे 50 दिन, पर हालात ठीक होने में लगेंगे चार माह, जानें कैसे

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार यह भावुक अपील कर रहे हैं कि नोटबंदी से होनेवाली मुश्किलें 50 दिनों में खत्म हो जायेंगी. इसकी मियाद पूरा होने में सिर्फ 15 दिन बचे हैं. लेकिन, वेबसाइट ‘इंडियास्पेंडस’ ने देश में नोट छापने के रिजर्व बैंक के प्रेस की क्षमता व आंकड़ों का विश्लेषण किया है, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2016 9:20 AM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार यह भावुक अपील कर रहे हैं कि नोटबंदी से होनेवाली मुश्किलें 50 दिनों में खत्म हो जायेंगी. इसकी मियाद पूरा होने में सिर्फ 15 दिन बचे हैं. लेकिन, वेबसाइट ‘इंडियास्पेंडस’ ने देश में नोट छापने के रिजर्व बैंक के प्रेस की क्षमता व आंकड़ों का विश्लेषण किया है, जिससे स्पष्ट है कि हालात 50 दिनों में सामान्य नहीं हो पायेंगे. अप्रैल, 2017 से पहले लोगों को राहत नहीं मिलने वाली है.

वेबसाइट के मुताबिक, अगर सरकार नौ लाख करोड़ सर्कुलेशन में डालना चाहती है, तो इस काम में उसे मई, 2017 तक का समय लगेगा. अगर सरकार पूरा 14 लाख करोड़ रुपया सर्कुलेशन में डालना चाहती है, तो उसे अगस्त, 2017 तक का वक्त लगेगा. इसकी वजह पांच सौ रुपये का नोट है, जिसे मांग के अनुसार छापना संभव नहीं है.

जानिए, कितना लगेगा समय यदि…

नौ लाख करोड़ मार्केट में लाना हो तो

दो हजार+पांच सौ के नोट = नौ लाख करोड़
नोटों की इतनी संख्या को चलन में लाने के लिए जरूरी है कि दो हजार के नोटों की संख्या आधी हो. 681 करोड़ पांच सौ के नोट की जरूरत पड़ेगी, जिसका वैल्यू 3.405 लाख करोड़ रुपये है. इसकी छपाई 10 मार्च, 2017 तक होगा.

14 लाख करोड़ मार्केट में लाने के लिए
दो हजार+पांच सौ के नोट = 14 लाख करोड़

इसमें 1181 करोड़ पांच सौ के नोट की जरूरत पड़ेगी, जिसका वैल्यू 5.905 लाख करोड़ होगा. नोटों की छपाई का काम आठ जुलाई, 2017 तक पूरा होने की संभावना है. नोटों को बैंकों तक पहुंचाने में 20 दिनों का समय भी लगेगा.

हर दिन 7.4 करोड़ नोट छपाई की क्षमता

आरबीआइ के पास नोट छापने की मशीन चार जगह है – देवास (मप्र), नासिक (महाराष्ट्र), सिलबोनी (पश्चिम बंगाल) और मैसूरू (कर्नाटक) में है. आरबीआइ की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, इन मशीनों की क्षमता 2670 करोड़ नोट सालाना छापने की है. यानी औसतन 7.4 करोड़ नोट प्रति दिन छप सकते हैं. दो शिफ्ट की जगह तीन शिफ्ट में काम किया जाये तो प्रतिदिन छपाई की क्षमता 11.1 करोड़ नोट की होगी. छापाखानों में आधे से भी कम मशीनों में पांच सौ और उससे बड़े मशीनों में जरूरी सुरक्षा मानकों को प्रिंट करने की क्षमता है. अगर सभी छापाखानों में हाई सिक्यूरिटी फीचर को प्रिंट करनेवाले मशीनों से 24 घंटे पांच-पांच सौ के नोट छापे जायें, तो प्रतिदिन 5.56 करोड़ नोट ही छापे जा सकेंगे.

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