रिजीजू विवाद : नेपको के पूर्व CVO सतीश वर्मा ने कहा, कामेंग प्रोजेक्ट में कागज पर स्कूटर-कार से ढोये गये बोल्डर
नयी दिल्ली : नेपको (नार्थ इस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर काॅरपोरेशन) के पूर्व मुख्य सतर्कता अधिकारी सतीश वर्मा ने कहा है कि अरुणाचल के कामेंग पनबिजली प्रोजेक्ट में 450 करोड़ रुपये के नुकसानकाउनका आकलन एक रूढीवादी आकलन पर आधारित है. मालूम हो कि वर्मा की रिपोर्ट के बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजेजू विवाद में आ […]
नयी दिल्ली : नेपको (नार्थ इस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर काॅरपोरेशन) के पूर्व मुख्य सतर्कता अधिकारी सतीश वर्मा ने कहा है कि अरुणाचल के कामेंग पनबिजली प्रोजेक्ट में 450 करोड़ रुपये के नुकसानकाउनका आकलन एक रूढीवादी आकलन पर आधारित है. मालूम हो कि वर्मा की रिपोर्ट के बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजेजू विवाद में आ गये थे और कांग्रेस ने उन पर अरुणाचल के कामेंग हाइडल पॉवर प्रोजेक्ट में अपने भाई को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया. वर्मा ने अपना पक्ष अंगरेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस सेबातचीतमें रखा है.
नेपको के पूर्व सीवीओ सतीश वर्मा ने कहा है कि हर ट्रक दस क्यूबिक मीटर बोल्डर ढोता है. नेपको द्वारा इसके लिए 75 रुपये प्रति किलोमीटर प्रति क्यूबिक मीटर की रेट तय की गयी है. लेकिन, अनौपचारिक तौर पर 60 रुपये प्रति किलोमीटर प्रति क्यूबिक मीटर की दर से भुगतान किया जाता रहा है. उन्होंने कहा कि कार्यस्थल से 80 किलोमीटर दूर से यह ढुलाई की जाती है, इस तरह प्रति ट्रक 48 हजार रुपये का भुगतान किया जाता है. उन्होंने कहा कि जनवरी से मई 2016 के बीच सभी तरह की कटौती के बाद मैंने पाया कि हर महीने लगभग नौ करोड़रुपयेका भुगतान किया जाता है. उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर 25 हजार क्यूबिक मीटर बोल्डर की हर महीने खपत होती है. वर्मा के अनुसार, प्रोजेक्ट के लिए कुल एक मिलियन क्यूबिक मीटर बोल्डर की जरूरत है. उन्होंने कहा कि उनका आकलन इसी पर आधारित है.
उधर, केंद्रीय गृह राज्य मंत्रीकिरणरिजीजूका कहना है कि कामेंग हाइडल पाॅवर प्रोजेक्ट के ट्रांसपोर्टेशन का कुल खर्च 400 करोड़ रुपये है और 90 प्रतिशत प्रोजेक्ट पूरा हो गया है. इसलिए 450 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का आरोप सही नहीं है.
वहीं, सतीश वर्मा का कहना है कि 75 रुपये प्रति किलोमीटर प्रति क्यूबिक की दर से ठेकेदार को भुगतान किया गया है और भुगतान की गयी राशि 450 करोड़ रुपये से अधिक की है. वर्मा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उन्होंने कुछ नकली ट्रांसपोर्ट चालान व इन्वायस पाया है और उसके अनुसार, हजारों टन बोल्डर कागज पर स्कूटर व कार से ढोये जाते दिखाये गये हैं.
वर्मा ने उनपर लगाये जा रहे पेशेवर कदाचार के आरोपों व अनधिकृत रूप से कार्य से अनुपस्थित रहने से इनकार किया है. मालूम हो कि मंगलवार को पीआइबी की ओर से जारी एक बयान में वर्मा पर आॅल इंडिया सर्विस रूल, 1968 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था. इसमें कहा गया था कि नेपको के मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में अपने डेढ़ साल के कार्यकाल में वे कार्यालय से 310 दिन गायब रहे और उन्होंने इसके लिए संबंधित प्राधिकारी को न तो सूचित किया और टूर रिपोर्ट पेश किया. इस पर वर्मा ने कहा है कि इन आरोपों को उन्होंने गोवाहाटी के सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में चुनौती दी है और खुद के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर एक स्टे लिया है.
रिजीजू का कहना है कि इस पूरे मामले में एक दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट दायर की गयी है.
कौन हैं सतीश वर्मा?
अरुणाचल के हाइडल पॉवर प्रोजेक्ट के संबंध में अपनी 129 पेज की रिपोर्ट से चर्चा में आये सतीश वर्मा 1986 बैच के आइपीएस अफसर हैं. वे वर्तमान में त्रिपुरा में सीआरपीएफ में आइजी के रूप में कार्यरत हैं. उन्हें गुजरात के चर्चित इशरत जहां इनकाउंटर मामले की जांच के लिए गुजरात हाइकोर्ट द्वारा बनायी गयी तीन सदस्यों वाली समिति में शामिल किया गया था. डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, उनके गुजरात सरकार से अच्छे रिश्ते नहीं थे और उन पर जूनागढ़ के पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में प्रिंसिपल के रूप में ड्यूटी नहीं देने का आरोप लगाया गया.