सुप्रीम कोर्ट ने कहा – नहीं बढ़ेगी 500 व 1000 के नोटों की इस्तेमाल अवधि

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सार्वजनिक सेवाओं, सरकारी अस्पतालों और रेल टिकटों की खरीद के लिए अब अमान्य हो चुके 500 और 1000 रुपये के नोटों के इस्तेमाल पर रोक के कदम में कोई भी बदलाव करने से आज मना कर दिया और सरकार के नोटबंदी के फैसले की वैधता के मुद्दे को संविधान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2016 4:32 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सार्वजनिक सेवाओं, सरकारी अस्पतालों और रेल टिकटों की खरीद के लिए अब अमान्य हो चुके 500 और 1000 रुपये के नोटों के इस्तेमाल पर रोक के कदम में कोई भी बदलाव करने से आज मना कर दिया और सरकार के नोटबंदी के फैसले की वैधता के मुद्दे को संविधान पीठ को भेज दिया. न्यायालय ने सरकार के नोटबंदी के कदम पर फैसला सुनाने के लिए पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ के लिए नौ मुद्दे निर्धारित किए. शीर्ष अदालत ने 24000 रुपये प्रति सप्ताह बैंक से निकालने की सीमा में कोई संशोधन करने का निर्देश भी नहीं दिया.शीर्ष अदालत ने उम्मीद जताई कि सरकार आम जनता को हो रही कठिनाई को ध्यान में रखते हुए जितना संभव हो सकेगा ‘‘अपने इस वादे’ को पूरा करेगी.

प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड की पीठ ने अमान्य हो चुके 500 और 1000 रुपये के नोटों के इस्तेमाल में मिली छूट को बढाने से मना कर दिया और इसकी समीक्षा पर फैसला करने की जिम्मेदारी सरकार पर छोड दी. पीठ ने उम्मीद जताई कि सरकार इससे निपटने में जिम्मेदार और संवेदनशील होगी.न्यायालय ने सरकार की इस दलील पर भी गौर किया कि 2000 और 500 रुपये के नए नोट लाने से 40 फीसदी अमान्य मुद्रा की जगह नई मुद्रा लायी जा चुकी है.

इस दलील को रिकॉर्ड में लेते हुए पीठ ने कहा, ‘‘इस चरण में कोई और निर्देश नहीं दिए जा सकते और ‘‘हम उम्मीद जताते हैं कि सरकार प्रति सप्ताह 24000 रुपये निकालने के अपने वादे को जहां तक संभव होगा पूरा करेगी और समय-समय पर इसकी समीक्षा करेगी.” शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल द्वारा दिए गए इस आश्वासन को भी स्वीकार किया कि देशभर में जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों (डीसीसीबी) द्वारा 11 से 14 नवंबर के बीच एकत्र किए गए 8000 करोड रुपये को सभी बैंकों पर लागू होने वाले नियमों के अनुसार नए नोटों से बदलने की अनुमति दी जायेगी.

सरकार को यह भी राहत मिली जब पीठ ने देशभर के उच्च न्यायालयों में आठ नवंबर की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पर रोक लगा दी और कहा कि सिर्फ शीर्ष अदालत उनपर सुनवाई करेगी. पीठ ने कहा, ‘‘हम विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर सभी रिट याचिकाओं को वापस लेने का आदेश देना उचित मानते हैं और सभी मामलों पर उच्चतम न्यायालय सुनवाई करेगा. सभी स्थानांतरण याचिकाओं पर हम नोटिस जारी कर रहे हैं और विभिन्न उच्च न्यायालयों में रिट याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगाने का आदेश दे रहे हैं.” पीठ ने कहा, ‘‘देश में कोई और अदालत नोटबंदी के मुद्दे पर किसी रिट याचिका पर सुनवाई नहीं करेगी.

हम साफ करते हैं कि उच्च न्यायालयों में याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता उच्चतम न्यायालय में हस्तक्षेप करने को स्वतंत्र हैं.” न्यायालय ने कहा कि आठ नवंबर की अधिसूचना को दी गई चुनौती ‘सार्वजनिक महत्व’ के क्षेत्र में है क्योंकि असुविधा की शिकायतें आई हैं. न्यायालय ने कहा कि पांच न्यायाधीश द्वारा इसपर अधिकारपूर्ण फैसला सुनाने के लिए इसे बडी पीठ के पास भेजने के लिए निर्देश दिए जाने की आवश्यकता है और प्रधान न्यायाधीश इस उद्देश्य के लिए पीठ का गठन करेंगे

बैंक प्रति सप्ताह 24000 रुपये निकालने की अनुमति नहीं दे रहे हैं इससे लोगों को हो रही असुविधा को कम करने के लिए निर्देश देने की मांग करने वाली अर्जी का परीक्षण करते हुए पीठ ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की दलीलों पर गौर किया जिसमें उन्होंने कहा कि नकदी के प्रवाह को सुचारु बनाने के लिए मांगी गई 50 दिन की मियाद अभी खत्म नहीं हुई है

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