विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पूरी दुनिया अब वैश्विक आतंकवाद के वैश्विक रवैये को पहचान रही है. हमारा लगातार यह वैश्विक आंतंकवाद के विभिन्न पहलुओं को दुनिया के सामने रख रहे हैं. जैसे आतंक वित्तपोषण, कट्टरपंथी और साइबर भर्ती जैसे पहलुओं को सामने ला रहे हैं. हमारा लक्ष्य है कि की जल्द इस प्रयास में सफल होंगे और जबतक ऐसा नहीं होगा तब तक हम आराम नहीं करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि जहां तक आतंकवाद का संबंध है, 9/11 में ‘मेरी समस्या नहीं’ का युग समाप्त हो गया, लेकिन अभी तक एक पूरे अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रयास का उत्पादन करना बाकी है. हमारे पास हमारे निकटवर्ती इलाके में राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद का एक विशेष रूप से अहंकारी उदाहरण है.
इससे पहले शनिवार को विदेश मंत्री ने 15वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए चीन पर निशाना साधा था. विदेश मंत्री ने हाल ही में भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए कई देशों द्वारा नीतियों की घोषणा का जिक्र करते हुए कहा कि यदि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता हो तो विभिन्न दृष्टिकोणों का सामंजस्य कभी भी चुनौती नहीं होगा. उन्होंने दक्षिण चीन सागर का जिक्र किया और कहा कि इस इलाके में हो रही घटनाओं पर चिंता जतात हुए कहा कि इस क्षेत्र में विश्वास खत्म हो रहा है.
अपने संबोधन में विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया की अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अनुपालना और क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता का सम्मान होना चाहिए. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इंडो-पैसिफिक के बारे में भी बात की और अपने केंद्र में 10 देशों के आसियान के साथ एक एकीकृत और जैविक समुद्री क्षेत्र के रूप में इस क्षेत्र में बढ़ती रुचि का उल्लेख किया.
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विदेश मंत्रालय (MEA) ने अपने संबोधन में कहा कि आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और महामारी जैसी राष्ट्रीय सीमाओं की चुनौतियों के अलावा COVID -19 से निपटने के लिए दुनिया में अधिक से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता की जरूरत है. वर्चुअल तौर पर आयोजित शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता वियतनाम के प्रधान मंत्री गुयेन जुआन फुक ने अपनी क्षमता के तहत की थी जिसमें आसियान और ईएएस के सभी सदस्य देशों ने भाग लिया था.
Posted By: Pawan Singh