नए आर्मी चीफ की नियुक्ति पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, भाजपा ने कहा-सेना के मुद्दे पर राजनीति ना हो

नयी दिल्ली : नए थलसेना प्रमुख की नियुक्ति पर राजनीतिक जंग जारी है. कांग्रेस और वाम दलों ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि वरिष्‍ठ अधिकारियों की अनदेखी कर ले. जनरल बिपिन रावत को सेना की कमान क्यों सौंपी गयी ? जिसके जवाब में भाजपा ने कहा कि वरीयता का उल्लंघन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2016 9:15 AM
नयी दिल्ली : नए थलसेना प्रमुख की नियुक्ति पर राजनीतिक जंग जारी है. कांग्रेस और वाम दलों ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि वरिष्‍ठ अधिकारियों की अनदेखी कर ले. जनरल बिपिन रावत को सेना की कमान क्यों सौंपी गयी ? जिसके जवाब में भाजपा ने कहा कि वरीयता का उल्लंघन पहली बार नहीं हुआ है. साल 1983 में भी ले. जनरल एसके सिन्हा की वरीयता को नजरअंदाज किया जा चुका है.

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कांग्रेस का आरोप है कि वरिष्ठता सूची में नए सेना अध्यक्ष का नाम ले. जनरल प्रवीण बक्शी और ले. जनरल अली हारिज के बाद है जिसके वावजूद बिपिन रावत को सेना की कमान सौंपी गयी है. रविवार को कांग्रेस प्रवक्‍ता मनीष तिवारी ने मामले को लेकर अपने ट्विटर वॉल के माध्‍यम से पूछा है कि आर्मी चीफ की नियुक्ति में वरिष्ठता का ख्याल क्यों नहीं रखा गया? क्यों लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अली हरीज की जगह बिपिन रावत को प्राथमिकता दी गई. पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह के बाद सबसे वरिष्ठ है जबकि दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरीज अगले सबसे वरिष्ठ हैं. कांग्रेस नेता तिवारी ने दावा किया है कि लेफ्टिनेंट जनरल रावत तीसरे नहीं बल्कि चौथे वरिष्ठ हैं. मध्य कमांड के सेना कमान के लेफ्टिनेंट जनरल बीएस नेगी वरिष्ठता में उनसे आगे हैं.
इधर, सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा कि आम तौर पर हम सशस्त्र बलों से संबंधित मुद्दों पर टिप्पणी कभी नहीं करते, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार भारत के प्रमुख संस्थानों के नियमों को बदलने के प्रयास में है. भाकपा नेता डी राजा ने कहा कि उच्‍च पदों पर नियुक्तियों को लेकर विवाद दुर्भाग्‍यपूर्ण है. सरकार बताए कि आखिर यह नियुक्तियां कैसे की गयी ?
फैसले पर उठ रहे सवाल के बीच केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इस फैसले के लिए 10 जनपथ से इजाजत लेने की जरूरत सरकार को नहीं है. अब सरकार पारदर्शिता होकर काम कर रही है. भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष हर मुद्दे का राजनीतिकरण करने का लगातार प्रयास कर रहा है. भाजपा ने कहा कि सेना के मुद्दे पर राजनीति ना हो.
यहां उल्लेख कर दें कि 1983 में लेफ्टिनेंट जनरल एएस वैद्य को थल सेना प्रमुख बनाया गया था, जबकि उनसे वरिष्ठ सेनाधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा थे.

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