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…तो पत्नी को वापस करना होगा गुजारा भत्ता

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा के मामले पति से अलग रह रही उसकी पत्नी को 5000 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश खारिज करने से इनकार किया है. अदालत ने कहा है कि इस धनराशि से वह (पत्नी) दिल्ली जैसे महानगर के जीवन स्तर के मद्देनजर कोई शानो-शौकत की […]

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा के मामले पति से अलग रह रही उसकी पत्नी को 5000 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश खारिज करने से इनकार किया है. अदालत ने कहा है कि इस धनराशि से वह (पत्नी) दिल्ली जैसे महानगर के जीवन स्तर के मद्देनजर कोई शानो-शौकत की जिंदगी नहीं जी पायेगी.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लोकेश कुमार शर्मा ने इस व्यक्ति की अपील खारिज करते हुए कहा, ‘‘दिल्ली जैसे महानगर में जीवनस्तर को ध्यान में रखते हुए मेरा मत है कि 5000 रुपये प्रतिमाह से प्रतिवादी बस अपनी मूलभूत एवं न्यूनतम जरूरतें ही पूरा कर पायेगी और यह नहीं माना जा सकता कि वह इस रकम, जिसका मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने आदेश दिया है, से कोई शानदार जिंदगी जी लेगी. ” सत्र अदालत ने कहा, ‘‘अतएव, मुझे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश में कुछ अवैधता या असंगतता नजर नहीं आती. ”

अदालत ने सालभर से बेरोजगार होने की उसकी दलील भी यह कहते हुए ठुकरा दी, ‘‘मुझे इस दलील में कोई दम नजर नहीं आता क्योंकि यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि हर समर्थ व्यक्ति अपनी पत्नी एवं बच्चों की परवरिश करने के योग्य है.” एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 16 जनवरी, 2015 को महिला के पक्ष में 5000 रुपये का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. इस महिला ने उससे अलग रहे पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था.

महिला के पति ने अपनी अपील में आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी ने उससे पैसे ऐंठने के लिए झूठा मामला दर्ज किया था और वह खुद भी हर महीने 20000 रुपये कमा रही है. अदालत ये उसकी यह दलील खारिज कर दी परंतु यह निर्देश दिया कि यदि महिला सुनवाई के दौरान आरोप साबित नहीं कर पायी तो वह अपने पति से गुजारा भत्ते के तौर पर मिली पूरी रकम लौटाने के लिए बाध्य होगी.

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