मोदी बनाम राहुल की जंग : कभी इन चार हस्तियों ने भारतीय राजनीति में लाया था भूकंप

दुनिया की सबसे बड‍़े लोकतंत्रिक देश, भारत में हर रोज नयी राजनीतिक शब्दावली का प्रयोग होता है. विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखे हमले किये जाते हैं. भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर कोई नयी बात नहीं, लेकिन कुछ नारे व शब्द ऐसे होते है तो राजनीतिक इतिहास में जगह बना लेते हैं. इन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 22, 2016 4:29 PM

दुनिया की सबसे बड‍़े लोकतंत्रिक देश, भारत में हर रोज नयी राजनीतिक शब्दावली का प्रयोग होता है. विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखे हमले किये जाते हैं. भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर कोई नयी बात नहीं, लेकिन कुछ नारे व शब्द ऐसे होते है तो राजनीतिक इतिहास में जगह बना लेते हैं. इन दिनों ‘भूकंप’ शब्द सोशल मीडिया में छाया हुआ है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि मैं खुलासा करूंगा, तो देश में भूकंप आ जायेगी. राहुल गांधी के इस हमले को भले ही बेहद गंभीरता से नहीं लिया गया, लेकिन देश की राजनीतिक इतिहास में कई ऐसे वक्त आये, जब भूकंप के झटके महसूस किये गये. फिलहाल उनका खुलासा सामने आ चुका है, लेकिन अतीत में जिन राजनेताओं ने भूकंप लाया, उन्होंने देश की राजनीति को नया रूख दिया.


जयप्रकाश नारायण
: आजादी के बाद भारत की सबसे ताकतवर पार्टी कांग्रेस थी. 70 के दशक तब वह सत्ता की धूरी थी और देश के लिए वह ऐसा दौर था, जब राजनीति में उसका विकल्प नहीं दिख रहा था. उस ताकतवर पार्टी की सबसे ताकतवर नेता इंदिरा गांधी की सरकार की जड़े जेपी आंदोलन ने खोदी थी. जयप्रकाश नारायण ने छात्र आंदोलन से उपजे आक्रोश को संपूर्ण क्रांति में बदल दिया था और देश में बड़ा राजनीतिक भूचाल आया. जेपी ने देश की राजनीतिक दिशा बदल दी और केंद्र में गैर कांग्रेसी की संभावनाओं को सच कर दिया. 23 जनवरी 1977 को जनता पार्टी बनी और मई में देश में चुनाव हुआ. जनता पार्टी जीती और कांग्रेस (ओ), स्वतंत्र पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, जनसंघ, लोकदल और जगजीवन राम की अगुवाई वाली कांग्रेस जैसे दलों को मिला कर उसने केंद्र में सरकार बनायी. इन सब के मूल में जेपी का हुंकार था. जेपी ने न केवल देश को कांग्रेस का बड़ा विकल्प दिया, बल्कि राष्ट्रीय चिंतन का नया आयाम दिया.

वीपी सिंह : उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से आने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अपना राजनीतिक सफर कांग्रेस पार्टी से शुरू किया. अपने लंबे राजनीतिक जीवन में दो फैसलो से उन्होंने भूचाल ला दिया. पहला, बोफोर्स तोप सौदे में घोटाले को उजागर कर सत्ता में बड़ा परिवर्तन. दूसरा, मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करना. उनमें राजीव गांधीपर बोफोर्स तोप के सौदे में घोटाले का आरोप लगाया. राजीव सरकार ने बोफोर्स कंपनी से 410 तोपों का सौदा किया था. उसमें 60 करोड़ की राशि कमीशन के तौर पर दी गयी थी. इन दो बड़े फैसलों का भारतीय राजनीति, लोकतंत्र और सामाजिक चेतना में ऐतिहासक बदलाव लाया.

लालकृष्ण आडवाणी : भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी भारत की राजनीति में बड़ा भूकंप लाया था. उन्होंने कांग्रेस के विकल्प के रूप में देश को राष्ट्रीय पार्टी दी. राम मंदिर का आंदोलन खड़ा कर भाजपा के वोट बैंक को मजबूत किया. दो सीट जीतने वाली भाजपा ने देखते-ही-देखते देश के राज्यों में पैठ बनाना शुरू किया. हालांकि यह भी कहा जाता है कि उन दिनों वीपी सिंह के पिछड़े समुदाय के आरक्षण के मुद्दे को काउंटर करने के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर का आंदोलन खड़ा किया था. बहरहाल, लालकृष्ण आडवाणी की इस पटकथा ने भारतीय जनता पार्टी को प्राणवायु दिया. आज भाजपा देश की बड़ी पार्टी बन चुकी है.

अन्ना हजारे : एक गैरराजनीतिक शख्स ने जेपी के बाद देश में एक नये आंदोलन को जन्म दिया. यह किसी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा किया गया आंदोलन था. इस आंदोलन से सीविल सोसाइटी व समाजिक कार्यकर्ता जुड़े. अन्ना हजारे के इस आंदोलन ने कांग्रेस पार्टी को देश में अलोकप्रिय बना दिया. आगे चलकर कांग्रेस की हार हुई. इस आंदोलन से अरविंद केजरीवाल का उदय हुआ. केजरी वाल ने अंतत: एक राजनीतिक पार्टी बना ली. दिल्ली चुनाव में केजरीवाल ने 70 सीटों में 67 सीट जीतकर इतिहास रच दिया.

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