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छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक : क्या मोदी-फडणवीस ने विरोधियों पर बना ली राजनीतिक बढ़त?

आज की राजनीति में जरूरी है कि प्रतीकों को गढ़ना, बनाये रखना, संवारते रहना मुंबई : तमाम विरोधों और आपत्तियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुंबई में अरब सागर में बनने वाली छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक की आधारशिला रख दी. देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की भाजपा सरकार इसे अपनी बड़ी उपलब्धि […]


आज की राजनीति में जरूरी है कि प्रतीकों को गढ़ना, बनाये रखना, संवारते रहना

मुंबई : तमाम विरोधों और आपत्तियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुंबई में अरब सागर में बनने वाली छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक की आधारशिला रख दी. देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की भाजपा सरकार इसे अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में मराठी मानुष केसमक्ष पेश कर रही है. मुख्यमंत्री फडणवीस ने ठीक एक दिन पहले कल ही यह हुंकार भरी थी कि छत्रपति शिवाजी महाराज स्मारक का निर्माण कोई रोक नहीं सकता है और यह बन कर रहेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीके दौरे के ठीक एक दिन पहले ऐसे संकल्प और हुंकार में इस अवसर को भुनानेकाप्रयासनजर आ रहा था. दरअसल, पर्यावरण कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता व मछुआरे इस स्मारक के निर्माण का विरोध करते रहे हैं. हालांकि कल अंतिम समय में अखिल महाराष्ट्र माछीमार कृति समिति के नेता दामोदर तांडेल ने विरोध से दूरी बना ली और मछुआरों का विरोध खत्म हो गया.

कहां है निर्माण स्थल, क्यों हो रहा है विरोध?

स्मारक का निर्माण स्थल मरीन ड्राइव के करीब अरब सागर में एक किलोमीटर की दूरी पर पथरीले टापू पर है. इसके निर्माण कार्य में महाराष्ट्र सरकार 3600 करोड़ रुपये खर्च करेगी. शिवाजी की प्रतिमा 192 मीटर ऊंची होगी. इसका विरोध कुछ राजनीतिक धड़े सहित अन्य संगठन कर रहे हैं. उनका तर्करहाहै कि इतनेपैसों से बड़े विकास कार्यों को अंजाम दिया जा सकता थायाहै.इन्हें विकास योजनाओं पर व किसानोंकेहित परखर्च करना चाहिए.एकआंकड़ा बताता है किमहाराष्ट्र के 1250 म्यूनिसिपल स्कूलों का बजट 2400 करोड़ रुपये है, जाेशिवाजी स्मारक के बजट से 1100 करोड़ रुपये कम ही है.मछुआरों की दलीलरही है कि इससे उनका रोजगार छिन जायेगा,जबकिपर्यावरणकार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे समुद्र के उस स्थल की इकोलॉजी प्रभावित होगी व पर्यावरण को नुकसान होगा. हालांकि मछुआरों को सरकार ने आश्वासन देकर समझा लिया है कि उन्हें नौकरी उपलब्ध करायी जायेगी और स्मारक के निर्माण के बाद पर्यटन से उत्पन्न होने वाले अवसरों का उन्हें प्राथमिकता से लाभ दिया जायेगा.


क्या चूक गयी कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना को साध लेगी भाजपा?

कांग्रेस-एनसीपी ने भाजपा सरकार से पहले दस साल महाराष्ट्र पर शासन किया और स्मारक की सोच उसी की उपज थी, लेकिन दस सालों में वह सिर्फ इस पर चर्चा करती रही, पहल नहीं कर सकी. भाजपा सरकार ने शुुरुआती वर्षों में ही इस पर अमल कर दिया. भाजपा और उसकी सहयोगी शिवसेना दोनों इसके निर्माण पर क्रेडिट लेना चाहती है. लेकिन, नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ीमहाराष्ट्रमें शिवाजी स्मारक का निर्माण करवा कर शिवसेना को और हाशिये पर ढकेलना चाहती है. मुंबई महानगरपालिका में अभी शिवसेना का शासन है और मोदी-शाह चाहते हैं कि वहां भी भाजपा का कब्जा हो. मालूम हो कि भाजपा पहले महाराष्ट्र में शिवसेना की बी टीम होती थी, लेकिन अब शिवसेना भाजपा की बी टीम है. मराठी मानुष में शिवाजी को लेकर गहरा सम्मान है और वे वहां के सबसे बड़े प्रतीक हैं. शिवसेना का राजनीतिक उद्भव ही चरणबद्ध रूप से दक्षिण भारतीयों, गुजरातियों व उत्तर भारतीयों के विरोध और अति मराठावाद पर जोर देकर हुआ है. वहीं, भाजपामराठीअस्मिताका ख्याल रखतेहुए राष्ट्रवादी सोचको मजबूत करना चाहती है.

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