नयी दिल्ली: सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के लागू होने के बाद सरकार द्वारा कर्मचारी संघों की मांगों को न मानने से नाराज़ कर्मचारी संघ के नेताओं ने एक दिन के हड़ताल का ऐलान किया है. हड़ताल के लिए 15 फरवरी का दिन चुना गया है. इस संबंध में आज एनडी टीवी ने अपने वेबसाईट पर खबर दी है.
कर्मचारी संघ के नेताओं का मामले को लेकर कहना है कि वे एनडीए सरकार के तीन मंत्रियों द्वारा दिए गए आश्वासन के संबंध में धोखा खा चुके हैं इसलिए उन्होंने हड़ताल के राह को मजबूर होकर चुना. नेताओं का कहना है कि यह हड़ताल 33 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 34 लाख पेंशनरों के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए है.
इतना ही नहीं इन नेताओं का दावा है कि इस हड़ताल में 15 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के अलावा केंद्र के अधीन काम करने वाली ऑटोनोमस बॉडी के कर्मचारी भी अपना योगदान देंगे. कर्मचारी नेताओं का कहना है कि एनडीए सरकार ने हमें धोखा दिया है. केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और सुरेश प्रभु द्वारा न्यूनतम वेतनमान और फिटमेंट फॉर्मूला में बढ़ोतरी के आश्वासन के बाद कर्मचारी पहले अपना हड़ताल टाल चुके हैं.
कर्मचारी नेताओं ने शिकायत भरे लहजे में कहा है कि आजादी के बाद से यह दूसरा सबसे खराब पे कमीशन है. उन्होंने कहा कि 1960 में मिले दूसरे वेतन आयोग के बाद सातवां वेतन आयोग सबसे खराब वृद्धि लेकर आया जिससे कर्मचारी खुश नहीं थे. नेताओं का कहना है कि सरकार ने इस आयोग की रिपोर्ट पर कर्मचारियों का सुझाव नहीं स्वीकार किया और इसे लागू कर दिया. उन्होंने कहा कि 1960 में पूरे देश के केंद्रीय कर्मचारी पांच दिन की हड़ताल पर चले गए थे.
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सरकार ने सातवें वेतन आयोग द्वारा प्रस्तावित ऑप्शन-1 (पैरिटी) को लागू नहीं किया है. इसे कैबिनेट ने भी पास कर दिया था. इतना ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें अभी तक ऑटोनोमस बॉडीज के कर्मचारियों को नहीं दी गई हैं. सरकार ने आगे के निर्देश मिलने तक इन संस्थानों में वेतनमान को अभी तक लागू नहीं किया है.