जानें, करदाताओं के लिए नये बजट में क्या होगा खास?
वित्तमंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को देश का बजट पेश करने वाले हैं. नोटबंदी के बाद इस बजट पर सबकी नजर टिकी है. नोटबंदी के कारण बाजार खस्ताहाल है, उसमें सुधार करने के लिए और उसे पटरी पर लाने के लिए सरकार किस तरह की योजना लायेगी यह जानने को पूरा देश इच्छुक है. जानकारों […]
वित्तमंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को देश का बजट पेश करने वाले हैं. नोटबंदी के बाद इस बजट पर सबकी नजर टिकी है. नोटबंदी के कारण बाजार खस्ताहाल है, उसमें सुधार करने के लिए और उसे पटरी पर लाने के लिए सरकार किस तरह की योजना लायेगी यह जानने को पूरा देश इच्छुक है. जानकारों की मानें तो इस बजट में सरकार डायरेक्ट टैक्स में बड़े बदलाव कर सकती है. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार कॉर्पोरेट टैक्स को घटाकर 25 प्रतिशत पर लाना चाहती है. इसके लिए डायरेक्ट टैक्स में बदलाव किया जायेगा. इकोनॉमिक्स टाइम्स की मानें तो सरकार इस बजट में डायरेक्ट टैक्स पर फोकस करेगी. चूंकि अगले साल से जीएसटी लागू हो जायेगा, इसलिए अप्रत्यक्ष टैक्स में कुछ खास नहीं होगा.
अधिक से अधिक लोगों को टैक्स के दायरे में लाया जायेगा
जानकारों का कहना है कि अधिक से अधिक लोगों को टैक्स के दायरे में लाने के लिए सरकार सख्त निर्णय लेगी. इसका अर्थ है कि कॉर्पोरेट और पर्सनल इनकम टैक्स रेट में कटौती हो सकती है. इनकम डिसक्लोजर के नियम सख्त किये जा सकते हैं.
टैक्स इग्जेम्पशन लिमिट में होगी बढ़ोत्तरी
नोटबंदी के बाद आम आदमी परेशान है. खासकर वेतनभोगी कर्मचारी. इसलिए सरकार इन्हें राहत देने के लिए टैक्स इग्जेम्पशन लिमिट में बढ़ोत्तरी करेगी इसकी पूरी संभावना दिख रही है. हालांकि टैक्स रेट में बदलाव की उम्मीद बहुत कम है. अभी ढाई लाख रुपये तक सालाना आय पर टैक्स नहीं लगता है, जिसे इस बजट में बढ़ाया जा सकता है. सरकार ने पिछले बजट में डिविडेंड से साल में 10 लाख रुपये से अधिक इनकम पाने वालों पर 10 प्रतिशत का अतिरिक्त कर लगाया था. इससे टैक्स के मामले में कुछ गैरबराबरी कम हुई है, लेकिन जो लोग सबसे ज्यादा कमाई वाले वर्ग में हैं, वे अब भी कम टैक्स देते हैं. इसपर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है. हालांकि जानकार मानते हैं कि सरकार को मौजूदा टैक्स सिस्टम को बनाए रखना चाहिए. विगत वर्षों के बदलाव पर विचार कर ही नये बदलाव लाने चाहिए.