अध्यक्ष सोनिया गांधी की खराब तबीयत के कारण कांग्रेस हो रही है कमजोर ?
नयी दिल्ली : कांग्रेस आज अपना 132वां स्थापना दिवस मना रही है. कांग्रेस के 132वें स्थापना दिवस समारोह की अध्यक्षता राहुल गांधी ने की. बीमार चल रहीं अपनी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की जगह लेते हुए राहुल ने कांग्रेस स्थापना दिवस के अवसर पर आज पहली बार पार्टी मुख्यालय में तिरंगा फहराया. साथ […]
नयी दिल्ली : कांग्रेस आज अपना 132वां स्थापना दिवस मना रही है. कांग्रेस के 132वें स्थापना दिवस समारोह की अध्यक्षता राहुल गांधी ने की. बीमार चल रहीं अपनी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की जगह लेते हुए राहुल ने कांग्रेस स्थापना दिवस के अवसर पर आज पहली बार पार्टी मुख्यालय में तिरंगा फहराया. साथ ही उन्होंने आज पहली बार पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को संबोधित किया जिसमें कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य शामिल थे. यह कांग्रेस अध्यक्ष पद की ओर उनके बढतेकदम का संकेतक माना जा रहा है.
कल भी नोट बंदी मामले को लेकर कांग्रेस ने प्रेसकान्फ्रेंस का आयोजन किया था, जिसमें पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी नजर नहीं आयीं थीं. क्या सोनिया गांधी के बीमार होने का असर पार्टी पर पड़ रहा है क्योंकि नोटबंदी पर कांग्रेस के नेतृत्व में आठ दलों की बैठक पर भाजपा ने कल जमकर चुटकी ली और राहुल गांधी को निशाने पर लिया.
कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए मंगलवार को भाजपा ने कहाथा कि यह राहुल गांधी का ‘फ्लाप शो’ था. विपक्ष की एकता का बुलबुला आकार लेने से पहले ही फट गया. भाजपा के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहाथा कि नोटबंदी के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ संसद सत्र के दौरान हाथ मिलाने वाले 16 दलों में से मंगलवार की बैठक में केवल आठ दल साथ आये.
राहुल गांधी पर चुटकी लेते हुए रविशंकर ने कहा था कि यह स्पष्ट हो गया है कि उनमें ‘परिपक्वता’ की कमी है. बिना तथ्य के आरोप लगाने के कारण जल्द ही वे अकेले पड़ जायेंगे. राहुल गांधी पर ऐसे सवाल भाजपा की ओर से बार-बार उठायेजाते हैं. राहुल के विरोधी उनका मजाक भी उड़ाते हैं, जिसका अहसास राहुल को भी है. लेकिन, इससे उलट सोनिया गांधी के साथ ऐसा नहीं है.
सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस ने दो बार जीत दर्ज की. सोनिया पर हमले भी विपक्ष शुरुआत में उनके विदेशी मूल के मुद्दे पर और यूपीए सरकार बनने पर सत्ता का केंद्रीकरण दस जनपथ में होने का आरोप लगाया. यूपीए – 2 के कार्यकाल में उसके भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा सोनिया गांधी पर हमलावर थी. यानी, सोनिया की हमेशा भारतीय राजनीति में एक मजबूत व गंभीर उपस्थिति रही, भले ही उसकी व्याख्या अलग-अलग ढंग से की जाये.
2014 के लोकसभा चुनाव में ही फ्रंट पर राहुल गांधी थे, पर मनमाेहन सरकार के भ्रष्टाचार की बदनामियां व नरेंद्र मोदी की आंधी में कांग्रेस ऐतिहासिक रूप से दो अंक तक सीमित रह गयी. उसके बाद कई राज्यों में भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली जैसे राज्य उसे खोना पड़ा. एेसे में यह सवाल उठता है किक्या सोनिया गांधी के धीरे-धीरे नेपथ्य में बढ़ते जाने और राहुल गांधी के अधिक सक्रिय ढंग से राजनीतिक मंच पर सक्रिय होने से कांग्रेस कमजोर हो रही है?