देशभक्ति का नतीजा ऐसा न हो कि हम इतिहास के प्रति आंखें मूंदने वाला रवैया अपनाएं : राष्ट्रपति

तिरुवनंतपुरम : राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि देशभक्ति का नतीजा यह नहीं होना चाहिए कि हम इतिहास की व्याख्या करते वक्त तथ्यों की ओर से ‘‘आंखें मूंदने” वाला रवैया अपनाएं या अपनी पसंद की दलील को सही ठहराने के लिए सच से कोई समझौता कर लें. भारतीय इतिहास कांग्रेस (इंडियन हिस्टरी कांग्रेस) के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2016 8:15 PM

तिरुवनंतपुरम : राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि देशभक्ति का नतीजा यह नहीं होना चाहिए कि हम इतिहास की व्याख्या करते वक्त तथ्यों की ओर से ‘‘आंखें मूंदने” वाला रवैया अपनाएं या अपनी पसंद की दलील को सही ठहराने के लिए सच से कोई समझौता कर लें.

भारतीय इतिहास कांग्रेस (इंडियन हिस्टरी कांग्रेस) के 77वें सत्र का उद्घाटन करते हुए मुखर्जी ने इतिहासकारों से कहा कि वे इतिहास के प्रति ज्यादा से ज्यादा तथ्यपरक रवैया अपनाएं. उन्होंने कहा कि बौद्धिक तौर पर संदेह करने, असहमत होने और किसी चीज पर सवाल उठाने की आजादी की रक्षा लोकतंत्र के एक आवश्यक स्तंभ के तौर पर जरुर की जानी चाहिए.

तर्क और संतुलन को मार्गदर्शक बताते हुए मुखर्जी ने कहा, ‘‘अपने देश से प्रेम करना और उसके अतीत में अधिकतम वैभव देखना स्वाभाविक है. लेकिन, देशभक्ति का नतीजा यह नहीं हो कि इतिहास की व्याख्या में तथ्यों की अनदेखी करने वाला रवैया अपनाने लग जाएं या अपनी पसंद की दलील को सही ठहराने के लिए सच से समझौता करने लग जाएं.” उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी समाज पूरी तरह सही नहीं है और इतिहास को इस मार्गदर्शक के तौर पर देखा जाना चाहिए कि अतीत में क्या गलत हुआ और कैसे विरोधाभास, कैसी विसंगतियां और कैसी कमजोरियां थीं.” राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इतिहास की एक तथ्यपरक व्याख्या, जैसी कि हमारे सर्वश्रेष्ठ इतिहासकारों ने कोशिश की है, के लिए किसी न्यायाधीश जैसा निष्पक्ष मस्तिष्क होना चाहिए, न कि किसी वकील जैसा दिमाग.”
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें अपरिचित विचारों के लिए अपनी आंखें खुली रखनी चाहिए और विभिन्न निष्कर्षों या पूर्वानुमानों पर विचार करने के लिए तैयार रहना चाहिए.” मुखर्जी ने कहा कि देश में समय-समय पर ऐसी ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृतियां” रही हैं कि अतीत या वर्तमान में हमारी सामाजिक या सांस्कृतिक संस्थाओं के प्रतिकूल माने जाने वाले विचारों की अभिव्यक्ति को अपमान समझा जाता है.
उन्होंने यह भी कहा कि इसी तरह, अतीत के वीरों और राष्ट्रीय स्तर की हस्तियों की आलोचनात्मक सराहना के प्रति भी दुर्भावना देखने को मिली है और कभी-कभी तो इस पर हिंसा भी हुई है.
इस मौके पर केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन और विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीतला ने आरोप लगाया कि कुछ निहित स्वार्थ वाले तत्वों की ओर से इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश की जा रही है ताकि वह केंद्र की मौजूदा सरकार के हित में हो. राष्ट्रपति ने भारतीय इतिहास कांग्रेस की कार्यवाहियों की पहली प्रति मुख्यमंत्री को भेंट की.

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