!!अनिल साक्षी!!
श्रीनगर : पिछले एक हफ्ते में जम्मू कश्मीर का पुंछ सेक्टर कई बार पाकिस्तानी सेना द्वारा सीजफायर उल्लंघन किये जाने की घटनाओं का गवाह बना है. एलओसी पर इस तरह के सीजफायर उल्लंघनों में आम नागरिकों की जान भी जाती रही है. लेकिन, इस शुक्रवार को एलओसी पर तो पाकिस्तान ने हद ही कर दी. 16 वर्षीय तनवीर की शुक्रवार को ही पाकिस्तान की ओर से हुई गोलाबारी में मौत हो गयी थी. उसके परिजन उसे एलओसी पर नूरकोट गांव में अपनी जमीन पर ही दफनाना चाहते थे, जो तारबंदी के समीप है. इतना ही नहीं, जब जनाजे के लिए बढ़े तो पाकिस्तान सेना की ओर से गोलियां दागी जाने लगी.
स्थिति की कल्पना की जा सकती है कि लोग पार्थिक शरीर को दफनाने के लिए सिर्फ इसलिए निकल नहीं पा रहे थे कि पाक की गोलीबारी में किसी और नागरिक की मौत न हो जाये. इसके बाद स्थानीय मसजिद ने गोलाबारी रोकने की भावुक अपील कर मामले में दखल दिया. विधान परिषद सदस्य जहांगीर मीर के कहा, मसजिद से लाउडस्पीकर पर घोषणा की गयी :‘आपने (पाकिस्तानी सेना) एक शख्स को मार दिया है. गोलाबारी रोक दीजिए… हम जनाजे की नमाज पढ़ना चाहते हैं…’
अब यह अपील का असर था या फिर भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई का, पाक से फायरिंग रूकी. तब जाकर जनाजे हो पाया. सीज फायर की घोषणा के 13 साल के दौरान यह पहली घटना है, जब पाक ने जनाजे को रोकने की हरकत की है. वर्ष 2003 के पहले घटनाएं सामान्य थीं.
एलओसी पर फिर छाया खौफ का साया
गोलाबारी से एलओसी से सटे गांवों में रहनेवाले लोग डरे हुए हैं. लोगों ने सुरक्षित इलाकों की तरफ जाना शुरू कर दिया है. माछेल सेक्टर में तीन भारतीय फौजियों को मार डालने के बदले सेना द्वारा किये गये काउंटर-हमले के बाद तीन हफ्ते तक सीमा पर शांति थी, लेकिन अब पाकिस्तान की ओर से सीजफायर फिर होने लगा है.
तीन माह में 400 बार गोले बरसाये पाक ने
पीओके में आतंकियों के लान्चिंग पैडों पर भारतीय सेना द्वारा पिछले साल 28-29 सितंबर को की गयी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से एलओसी पर पाकिस्तान की ओर से 400 से भी ज्यादा बार गोलीबारी की गयी. इन घटनाओं में 14 सुरक्षाधिकारियों समेत 27 लोगों की जान जा चुकी हैं. एक तरह से कहें तो वर्ष 2003 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ सीजफायर समझौता लगभग निष्प्रभावी हो चुका है.
बहुत डर है. एक-एक जगह पर दो-तीन बम गिराये जा रहे हैं, जो काफी बड़े इलाके में धमाका करते हैं, इसमें नागरिक, जानवर मारे जाते हैं. लोग डर में जी रहे हैं..
प्रवीण, स्थानीय ग्रामीण