…और अब गरीबों को तनख्वाह देने की तैयारी में जुटी मोदी सरकार

नयी दिल्ली : नोटबंदी के जरिये कालाधन रखने वालों पर स्ट्राइक करके छवि सुधारने में जुटी मोदी सरकार अब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद गरीबों का मसीहा बनने के लिए गरीबी पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की तैयारी में जुट गयी है. सरकार की यह योजना यदि सफल हो जाती है, तो वह अब देश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2017 10:58 AM

नयी दिल्ली : नोटबंदी के जरिये कालाधन रखने वालों पर स्ट्राइक करके छवि सुधारने में जुटी मोदी सरकार अब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद गरीबों का मसीहा बनने के लिए गरीबी पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की तैयारी में जुट गयी है. सरकार की यह योजना यदि सफल हो जाती है, तो वह अब देश के गरीबों को वेतन देगी. गरीबी के खिलाफ सरकार की यह तैयारी यूपी के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की जा रही है.
हिंदी के समाचार वेब पोर्टल मनी कंट्रोल डॉट कॉम के खबर के अनुसार, विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पेश होने वाले बजट में सरकार इस योजना का ऐलान भी कर सकती है. आर्थिक सर्वे में इस योजना पर खास फोकस हो सकता है. खबर में कहा गया है कि सरकार इसे आर्थिक सर्वे में मुख्य चैप्टर में भी शामिल करेगी.

सूत्रों का कहना है कि सरकार की ओर से हर किसी के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ गरीबों के लिए यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम पर विचार किया जा रहा है. इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के खातों में सीधे सैलरी जायेगी. इसके अलावा, इस योजना के तहत परिवार के महिला सदस्य के खातों में पैसे डाले जायेंगे. साथ ही, आगे चलकर गरीबों के लिए चल रही कल्याणकारी योजनाओं को इस योजना में मिलाया जा सकता है.

एक आर्थिक आकलन के अनुसार, इस समय देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या करीब 5.3 करोड़ है. अगर सरकार इन गरीब परिवार के लोगों को हर महीने 1000 रुपये वेतन देती है, तो उस पर करीब 63,600 करोड़ रुपये का सालाना बोझ पड़ेगा. हालांकि, अगर सरकार दूसरी योजनाओं को इसमें मिलाती है, तो उस पर कम बोझ पड़ सकता हैँ. हालांकि, कहा यह भी जा रहा है कि सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये गरीबों को अनाज उपलब्ध कराने पर सालाना करीब 1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च करती है. वहीं, मनरेगा में सरकार द्वारा सालाना करीब 0.41 लाख करो़ड़ रुपये खर्च किये जाते हैं. सरकार अगर इन दोनों योजनाओं को समाप्त कर गरीबों को वेतन उपलब्ध कराती है, तो इन योजनाओं पर खर्च होने वाली राशि में बचत ही होगी.

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