…तो क्या 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को जला दें प्रधानमंत्री जी : प्रवासी भारतीय
नयी दिल्ली : नोटबंदी के करीब 66 दिन बाद भले ही केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक देश की मौद्रिक स्थिति सामान्य होने का दावा कर रहे हों, लेकिन वास्तविकता यह है कि आज भी देश में प्रवासी भारतीय (NRI) नकदी के लिए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बदलवाने के लिए रिजर्व […]
नयी दिल्ली : नोटबंदी के करीब 66 दिन बाद भले ही केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक देश की मौद्रिक स्थिति सामान्य होने का दावा कर रहे हों, लेकिन वास्तविकता यह है कि आज भी देश में प्रवासी भारतीय (NRI) नकदी के लिए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बदलवाने के लिए रिजर्व बैंक के बाहर कतारों में खड़े नजर आ रहे हैं. देश के विभिन्न स्थानों पर आज भी रिजर्व बैंक की पांच मानद शाखाओं के बाहर प्रवासी भारतीय (एनआरआई) तथा भारतीय मूल के लोग (पीआईओ) 500 व 1000 रुपये के पुराने नोटों को बदलवाने के लिए कतारों में लगे हैं. चौंकाने वाली बात यह भी है कि नोट बदलवाने की कड़ी शर्तों के कारण रिजर्व बैंक की मानक शाखाओं के बार खड़े प्रवासी भारतीयों में से कई लोगों को पुराने नोटों के बदले 500 और 2000 रुपये के नये नोट नहीं मिलने के कारण निराश होकर लौटना पड़ रहा है.
रिजर्व बैंक की शाखाओं से प्रवासी भारतीयों को गार्ड ही कर दे रहा है चलता
आलम यह है कि पुराने नोट बदलवाने की कड़ी शर्तों के कारण नकदी नहीं मिलने से कई बार रिजर्व बैंक की मानद शाखाओं के बाहर माहौल तनावपूर्ण हो जाता है, जबकि दूरदराज से आने वाले लोगों को केंद्रीय बैंक के गार्ड अंदर नहीं जाने देते. केंद्रीय बैंक की मानद शाखाओं पर खड़े गार्ड प्रवासी भारतीयों के पास सरकार और रिजर्व बैंक की शर्तों के अनुरूप जरूरी दस्तावेज नहीं होने का कारण बताकर चलता कर दे रहे हैं. रिजर्व बैंक के बाहर कतारों में खड़े प्रवासी भारतीयों की शिकायत है कि उन्हें अधिकारियों से बात ही नहीं करने दी जा रही है, जो कि कम से कम उनकी चिंताओं को सुन तो लें.
नोटबंदी की मार अब तक झेल रहे NRI रिजर्व बैंक के बाहर लगे हैं कतारों में
अमेरिका में रहने वाली रीतू दीवान ने बताया कि भले ही मेरे पास विदेशी पासपोर्ट हो, लेकिन मेरी जड़ें, तो भारत में हैं. हमारा परिवार हर साल भारत आता है. हमारे पास कुछ भारतीय नोट हैं, जिन्हें हम बदलना चाहते हैं. इसके बाद भी हमें रिजर्व बैंक के अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली. प्रधानमंत्री क्या चाहते हैं कि हम अपने पास मौजूद पुराने नोटों को जला दें? उन्होंने कहा कि यह अनावश्यक दिक्कतें इस बात का संकेत है कि पीआईओ का इस देश में अब वजूद नहीं है.
सरकार सिद्ध करे कि पीआईओ के पास जमा पुराने नोट कालाधन है
अमेरिका के ही एक अन्य नागरिक धर्मवीर ने कहा कि पीआईओ आमतौर पर कुछ भारतीय मुद्रा अपने पास रखते हैं, क्योंकि वे प्राय: यहां आते रहते हैं और हर बार विनिमय कमीशन देने का तुक नहीं बनता. उन्होंने कहा कि प्राय: भारत आने वाले पीआईओ के पास 50,000 से लेकर एक लाख रुपये तक की राशि होना आम बात है, लेकिन यह कोई कालाधन नहीं है. सरकार चाहे तो यह सिद्ध करे और इसे जब्त करे. पीआईओ व एनआरआई के साथ साथ आम भारतीय नागरिक भी जो नोटबंदी के दौरान पुराने नोट जमा नहीं करवा पाए या बदलाव नहीं पाए रिजर्व बैंक की शाखाओं से निराश लौट रहे हैं.