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जल्लीकट्टू के समर्थन में आज भी तमिलनाडु में जारी है प्रदर्शन, 500 समर्थक लिये गये हिरासत में

चेन्नई : सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के समर्थन में मंगलवार की सुबह भी उसके समर्थकों का प्रदर्शन जारी है. इस बीच खबर यह भी आ रही है कि मदुरै स्थित अलंगनल्लुर में जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे लोगों में से पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी […]

चेन्नई : सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के समर्थन में मंगलवार की सुबह भी उसके समर्थकों का प्रदर्शन जारी है. इस बीच खबर यह भी आ रही है कि मदुरै स्थित अलंगनल्लुर में जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे लोगों में से पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बीती 12 जनवरी को तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के आयोजन पर रोक लगा दी है.

इस रोक के बाद बीते रविवार को भी इसके समर्थकों ने मदुरै जिले के मुदाकथन, अलंगनल्लुर, पालामेडु और विलांगुडी, डिंडीगुल जिले के नल्लमपट्टी और तंजावुर जिले के पोट्टुचवाड़ी में जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया था. इस दौरान इस खेल का आयोजन करने का प्रयास करने के मामले में पुलिस ने करीब 149 युवकों को हिरासत में भी लिया था.

जल्लीकट्टू आयोजन रोकने के लिए पुलिस की सख्त निगरानी

उधर, खबर यह भी है कि तमिलनाडु के मदुरै जिला स्थित अलंगनल्लूर में सुप्रीम कोर्ट की रोक का उल्लंघन करते हुए जल्लीकट्टू आयोजित होने की खबर फैलने के बाद बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गयी है, क्योंकि वहां राज्य से बड़ी संख्या में युवक जुट रहे थे. पुलिस ने कहा कि सांडों को काबू में करने के खेल के लिए प्रसिद्ध इस गांव में कार्यक्रम आयोजित करने के प्रयासों को रोकने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की गांव में तैनाती की गयी है. तैनात बलों में सशस्त्र बल और अन्य जिलों से विशेष बटालियनें शामिल हैं.

इस खेल को लेकर क्षेत्र में तनाव उत्पन्न हो गया, क्योंकि यह खबर फैलने के बाद बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गये कि उन स्थलों पर जल्लीकट्टू का आयोजन किया जायेगा, जहां पहले भी यह आयोजित होते रहा है. पुलिस ने कहा कि वे सख्त सतर्कता बरत रहे हैं और वे सांडों को भीड में छोडने की इजाजत नहीं देंगे.

स्टालिन और पेटा के बीच वाकयुद्ध

इसके अलावा बताया यह भी जा रहा है कि जल्लीकट्टू के मुद्दे पर द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन और पेटा के बीच सोमवार से ही वाकयुद्ध शुरू हो गया है. जहां स्टालिन ने पेटा को राष्ट्र-विरोधी करार दिया, जबकि पशु अधिकारवादी इस संगठन ने आलाचेना को घटिया एवं अनुपयोगी करार दिया. फसलों के त्योहार पोंगल पर सांड को काबू करने के खेल जल्लीकट्टू का तीव्र करने पर जल्लीकट्टू समर्थकों ने पीपुल फॉर इथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स (पेटा) की कड़ी आलोचना की है.

जल्लीकट्टू विरोध में आगे रहे पेटा को निशाना बनाते हुए तमिलनाडु के विपक्ष के नेता स्टालिन ने कहा कि ऐसे अंतरराष्ट्रीय एनजीओ भारत की विविधता एवं उसके धरोहर की पहलुओं का अहसास नहीं कर पाते और उन्होंने उसे निहित स्वार्थ को लेकर काम करने का आरोप लगाया.

इस बीच पेटा भारत के पशु चिकित्सा मामलों के निदेशक डॉ मणिलाल वल्लीयाटे ने कहा कि पशु सुरक्षा एनजीओ, जो कानून बनाने वाली नहीं, बल्कि कानून का पालन करने वाली संस्था है, को निशाना बनाना घटिया एवं अनुपयोगी है, क्योंकि इसका जो उन केंद्रीय कानूनों पर कोई असर नहीं होगा, जो सांडों पर क्रूरता निषेध करते हैं.

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