नयी दिल्ली : भारत-पाकिस्तान संबंधों में तल्खी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पड़ोसी देश को स्पष्ट संदेश दिया. उन्होंने कहा कि यदि वह भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता शुरू करना चाहता है, तो उसे आतंकवाद से अलग होना होगा. यह भी कहा कि शांति के पथ पर चलना सिर्फ भारत का काम नहीं है. पाकिस्तान को इस सफर में साथ देना होगा.
अपनी लाहौर यात्रा समेत पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में उठाये गये कई कदमों को याद किया. दिल्ली में तीन दिवसीय रायसीना वार्ता के उद्घाटन मौके पर पीएम मोदी ने देश की विदेश नीति की प्राथमिकताओं का जिक्र किया. साथ ही हिंद महासागर में सुरक्षा हितों व पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों के साथ खाड़ी देशों, अमेरिका, चीन व रूस समेत प्रमुख देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला. मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि यह शताब्दी एशिया की है. साथ ही कहा कि इस महादेश में सबसे तीव्र उतार-चढ़ाव हो रहा है.
इसी क्षेत्र में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां व्यापक प्रगति और समृद्धि हो रही है. वैसे एशिया प्रशांत में सतत रूप से बढ़ती सैन्य शक्ति, संसाधन और धन ने उसकी सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है. इसलिए इस क्षेत्र में सुरक्षा ढांचे को खुला, पारदर्शी, संतुलित और समावेशी होना चाहिए. सम्मेलन में नेपाल के विदेश मंत्री प्रकाश शरण, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई समेत 65 देशों से 250 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.
संवेदनशील मुद्दों पर सम्मान दिखाये चीन
चीन का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि दो बड़े पड़ोसी शक्तियों के बीच कुछ मतभेद असामान्य बात नहीं है, लेकिन दोनों पक्षों को संवेदनशील मुद्दों पर एक-दूसरे प्रति सम्मान का भाव दिखाना चाहिए. भारत-चीन संबंधों के बारे में कहा कि दोनों देशों में अथाह आर्थिक अवसर हैं. इस पथ पर आगे बढ़ने में दोनों एक-दूसरे का पूरक बन सकते हैं.
अमेरिका के साथ संबंध हुए मजबूत
अमेरिका के साथ रिश्तों के बारे में मोदी ने निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपनी बातचीत का जिक्र किया और कहा कि हमने अपने सामारिक संबंधों को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है. मोदी ने रूस को अभिन्न मित्र बताते हुए कहा कि उनके साथ भरोसे वाला सामारिक संबंध और गहरे हुए हैं. वहीं जापान के साथ सही अर्थों में हमारे सामरिक संबंध हैं.