तमिलनाडु में जलीकट्टू को लेकर प्रदर्शन तेज हो गया है. आज तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि मुलाकात के दौरान पीएम मोदी से पनीरसेल्वम अध्यादेश की मांग कर सकते हैं.
बुधवार में सड़कों पर बेकाबू भीड़ ने इस त्यौहार से प्रतिबंध उठाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट के इस प्रतिबंध को आम लोग अपनी परम्परा पर हमले के रूप में देख रहे हैं. पोंगल के त्यौहार के मौके पर मनुष्य और सांड़ के इस खेल का आयोजन किया जाता है.
फुर्ती और ताकत के इस स्पर्धा की तैयारी में ग्रामीण पोंगल से कई महीनों पहले जुट जाते हैं जली का अर्थ होता है ‘सिक्का ‘ और कट्टू का अर्थ है ‘बंधा हुआ’. इस खेल के दौरान सांड़ों के सींग में कपड़ा बंधा होता है. इस कपड़े में पुरस्कार राशि होती है.
पुरस्कार राशि को हासिल करने के लिए लोग सांड़ के कुबड़ को पकड़कर कुछ देर के लिए लटक जाते हैं. इससे सांड़ वश में आ जाता है. खेल की शुरुआत में एक दौड़ता हुआ सांड़ को भीड़ में छोड़ दिया जाता है. इस खेल में प्रतियोगी सांड के कुबड़ को तबतक पकड़े रखता है, जबतक कि वो वश में न हो जाये.
खेल में भाग लेने के लिए सांड को एक साल से ज्यादा वक्त तक से तैयार किया जाता है. इस खेल के बाद कमजोर सांडों का उपयोग घरेलू कार्यों के लिए किया जाता है. वहीं मजबूत सांड का उपयोग गाय के साथ अच्छे नस्ल के प्रजनन के काम में लगाया जाता है.
मजबूत सांड़ों को मंदिर में रखा जाता था. जलीकट्टू में जीतने वाले प्रतिभागी को प्रोत्साहित किया जाता है और उन्हें इनाम से भी नवाजा जाता है.