नयी दिल्ली : जल्लीकट्टू के आयोजन को लेकर तमिलनाडू सरकार के अध्यादेश को कानून मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है. तमिलनाडु में बंद से जनजीवन ठहर जाने के बीच राज्य और केंद्र सरकार ने जल्लीकट्टू का आयोजन जल्द सुनिश्चित करने को लेकर एक अध्यादेश लाने के लिए आज सक्रियता दिखायी.
इस बीच, मरीना बीच और अन्य स्थानों पर हजारों प्रदर्शनकारियों ने इस खेल का आयोजन नहीं होने तक झुकने से इनकार कर दिया है. राज्य में पांचवें दिन भी छात्रों, युवाओं और अन्य तबके के लोगों का प्रदर्शन जारी रहा. वे लोग सांडों पर काबू पाने के इस खेल का फौरन अलंगनल्लूर और अन्य स्थानों पर आयोजन होने देने की मांग कर रहे हैं. यह स्थान जल्लीकट्टू का केंद्र है.
उन्होंने कहा कि वे इस खेल के आयोजन की इजाजत के लिए एक अध्यादेश लागू किए जाने की कोशिशों का स्वागत करते हैं लेकिन वे लोग कार्यक्रम के होने तक आंदोलन वापस नहीं लेंगे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिल कर राष्ट्रीय राजधानी से कल वापस लौटे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेलवम ने आज सुबह घोषणा की कि राज्य सरकार जल्लीकट्टू की इजाजत देने के लिए एक…दो दिनों में एक अध्यादेश जारी करेगी. राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए अध्यादेश का एक मसौदा केंद्रीय गृह मंत्रालय को दिया जा चुका है.
इसके बाद राज्यपाल इसे जारी करेंगे. उन्होंने चेन्नई पहुंचने पर कहा, ‘‘राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की कल मंजूरी मिलने के बाद ‘जंतु निर्ममता निवारण अधिनियम’ में संशोधन के लिए हमारे राज्यपाल अध्यादेश जारी करेंगे. ” उन्होंने कहा कि इस खेल के आयोजन की राह से सभी बाधाओं को हटाने के लिए कानूनी कदम उठाए जाएंगे.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह, पर्यावरण मंत्री अनिल दवे और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इस मुद्दे का जल्द हल करने के लिए शीघ्र कदम उठाये जाने का भरोसा दिलाया है. सिंह से अन्नाद्रमुक के सांसदों का एक बडा प्रतिनिधिमंडल मिला था. साथ ही, अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि इस विषय का हल निकालने के लिए तमिलनाडु के साथ केंद्र सरकार बातचीत कर रही है, जिसके बाद न्यायालय जल्लीकट्टू मुद्दे पर एक हफ्ते तक फैसला नहीं देने पर सहमत हुआ.
अध्यादेश संवैधानिक रुप से अवैध होगा
जल्लीकट्टू खेल आयोजित करना सुनिश्चित करने के लिए अध्यादेश लाने संबंधी तमिलनाडु सरकार के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जाने माने न्यायविद सोली सोराबजी ने आज कहा कि ऐसी पहल संवैधानिक रुप से अवैध हो सकती है. पूर्व अटार्नी जनरल ने कुछ टेलीविजन चैनलों से कहा, ‘‘ केंद्र सरकार जल्लीकट्टू के मुद्दे पर राज्य सरकार से विचार विमर्श करना चाहती है और इसका समाधान निकालना चाहती है.
यह काफी अच्छा है. लेकिन इन परिस्थितियों में आध्यादेश लाने का सवाल ही नहीं उठता है. इसकी कोई जरुरत नहीं है. ” उन्होंने यह भी कहा कि अध्यादेश तब जारी किया जाता है जब इसकी अत्यंत जरुरत होती है और इस पर तत्काल कार्रवाई की जरुरत होती है. सोराबजी ने कहा कि मैं नहीं समझता कि यह संवैधानिक रुप से वैध होगा. लेकिन हम इंतजार करें और देखें कि क्या होता है. उन्होंने कहा कि भावनाएं बुनियादी कानून के शासन पर हावी नहीं हो सकती हैं.