जानिये, आखिर हर सरकार के लिए जरूरी और मजबूरी क्यों हैं विदेश सचिव एस जयशंकर?

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार की ओर से विदेश सचिव सुब्रह्मण्यम जयशंकर को उनका कार्यकाल समाप्त होने के ठीक पांच दिन पहले सोमवार को एक साल तक के लिए सेवा विस्तार दे दिया गया है. विदेश सचिव जयशंकर का कार्यकाल 28 जनवरी को समाप्त हो रहा था. गौरतलब है कि 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 24, 2017 1:11 PM

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार की ओर से विदेश सचिव सुब्रह्मण्यम जयशंकर को उनका कार्यकाल समाप्त होने के ठीक पांच दिन पहले सोमवार को एक साल तक के लिए सेवा विस्तार दे दिया गया है. विदेश सचिव जयशंकर का कार्यकाल 28 जनवरी को समाप्त हो रहा था. गौरतलब है कि 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी जयशंकर को सुजाता सिंह की जगह 29 जनवरी 2015 को विदेश सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया था. गौर करने वाली बात यह भी है कि सरकार ने सुजाता सिंह को सेवानिवृत्त होने के कुछ दिन पहले ही उन्हें उनके पद से हटाकर एस जयशंकर को उनके स्थान पर नियुक्त किया. अहम यह भी है कि एस जयशंकर सुजाता सिंह से करीब एक साल जूनियर थे और तब उस समय उनकी नियुक्ति सिंह के स्थान पर की गयी. माना यह भी जाता है कि विदेश सचिव जयशंकर पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के चहेते अफसरों में से एक हैं.

बताते चलें कि केंद्र की मोदी सरकार ने सुजाता सिंह के अचानक कम करके जयशंकर को चीन से बुलाकर विदेश सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया था. हालांकि, बताया यह जा रहा है कि सरकार ने बीते एक साल के दौरान विदेश सचिव जयशंकर के कामों को देखते हुए एक साल तक के सेवा विस्तार देने का फैसला किया है, लेकिन इसका निहितार्थ यह भी निकाला जा रहा है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि फिलहाल विदेश सचिव के तौर पर काम करने वाले जयशंकर हर सरकार के लिए जरूरी क्यों हैं?

जानें कौन है एस जयशंकर?

एस जयशंकर अथवा सुब्रह्मण्यम जयशंकर का जन्म 09 जनवरी, 1955 को नयी दिल्ली में हुआ था. प्रमुख भारतीय सामरिक मामलों के विश्लेषक, टिप्पणीकार, प्रशासनिक अधिकारी और अब विदेश सचिव के तौर पर काम करने वाले एस जयशंकर प्रमुख इतिहासकार संजय सुब्रहुमण्यम और भारत के पूर्व ग्रामीण विकास सचिव सुब्रह्मण्यम विजय कुमार के भाई हैं. जयशंकर 1977 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए और 1979 में रूसी भाषा का अध्ययन किया. 1981 में मास्को में सोवियत संघ के लिए द्वितीय और तीसरे सचिव के तौर पर कामकिया. वर्ष 1985 से लेकर 1988 तक वह वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव थे. जयशंकर को 29 जनवरी 2015 को भारत के विदेश सचिव के तौर पर चीन से भारत बुला लिया गया. उनकी नियुक्ति की घोषणा 28 जनवरी, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद की गयी थी.

जयशंकर ऐसे ही नहीं हैं सभी सरकारों के प्रिय

करीब 60 साल के एस जयशंकर सितंबर, 2013 से अमेरिका में भारत के राजदूत के रूप में नियुक्त किये गये थे. अपनी नियुक्ति के बाद उन्होंने दिसंबर, 2013 में अमेरिका में भारतीय राजदूत के तौर पर अपना कार्यभार संभाला. इसके पहले वे 2007 से 2009 तक वे सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त के रूप में काम करते रहे. इसके बाद करीब साढ़े चार साल तक उन्होंने चीन में भारत के राजदूत के रूप में काम किया. चीन में लंबे समय तक भारतीय राजदूत के तौर पर काम करने वालों में से एक हैं. भारत और चीन के बीच आर्थिक सहयोग सुधारने और सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच उपजे मतभेद को कम करने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभायी.

36 सालों का है विदेश सेवा में काम करने का अनुभव

वर्तमान विदेश सचिव एस जयशंकर के पास करीब 36 सालों तक विदेश सेवा का अनुभव है. वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में वर्ष 2001 से 2004 तक चेक गणराज्य में भारत के राजदूत के तौर पर काम कर चुके हैं. वर्ष 2014 में आम चुनाव में प्रचंड बहुमत प्राप्त करने के बाद सितंबर, 2014 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की यात्रा की, तो इस यात्रा का आयोजन उन्हीं की देखरेख में किया गया था. इसके अलावा, अभी हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच नागरिक परमाणु समझौता कराने में जयशंकर की बड़ी भूमिका मानी जा रही है.

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