पंजाब: इस बार फिर नाराज नेताओं से कांग्रेस परेशान, चुनाव में बागी रहेंगे शांत तभी बनेगी हाथ की बात
!!मनोज कुमार!! चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार के फिर से कांग्रेस के लिए बागी व भीतरघाती बड़ी परेशानी बनते नजर आ रहे हैं. टिकट वितरण में तव्वजों से नाराज कई जगह बागी खड़े हो गये हैं, जो चुनाव लड़ने का जाेखिम नहीं उठा पाये वें भीतरघात की कोशिश में हैं. इससे पंजाब […]
!!मनोज कुमार!!
चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार के फिर से कांग्रेस के लिए बागी व भीतरघाती बड़ी परेशानी बनते नजर आ रहे हैं. टिकट वितरण में तव्वजों से नाराज कई जगह बागी खड़े हो गये हैं, जो चुनाव लड़ने का जाेखिम नहीं उठा पाये वें भीतरघात की कोशिश में हैं. इससे पंजाब के कांग्रेसी नेताओं की नींद उड़ गयी है.
पार्टी के एआइसीसी के नेता चंडीगढ़ में पार्टी दफ्तर के अलावा हर जिले में स्थिति का आकलन करने के लिए पहुंच गये हैं. कोशिश की जा रही है कि भीतरघातियों और बागियों को कैसे मनाया जाये? गौरतलब है कि वर्ष 2012 में कांग्रेस के 14 बागी खड़े हुए थे, जिन्हें मनाने में कैप्टन अमरिंदर सिंह नाकामयाब रहे, क्योंकि तब भी टिकटों को देने में काफी समय लग गया. पार्टी के पास इतना समय ही नहीं बचा कि इन्हें मनाकर बिठाया जा सके. लगभग वही स्थिति अब 2017 के चुनाव में भी देखने को मिल रही है. पहली लिस्ट में केवल इक्का दुक्का ही बागी हुए थे, लेकिन दूसरी और तीसरी लिस्ट में बागियों की फेहरिस्त काफी लंबी होने लगी है.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, यदि ये बागी खड़े न भी हुए तो इनके द्वारा किया गया भीतरघात पार्टी उम्मीदवार को जीतने नहीं देगा, क्योंकि हर सीट पर कड़े त्रिकोणीय मुकाबले हैं.
पिछले चुनाव में भी भितरघातियों ने पहुंचाया था नुकसान
बागी यहां बिगाड़ रहे खेल
1. कोटकपूरा सीट: यहां बड़ी बगावत तय है. पार्टी ने अकाली से कांग्रेस में आये हरनिरपाल सिंह कुक्कू को मुक्तसर की बजाय कोटकपूरा से उतारा है. वहीं कांग्रेस में अजयपाल सिंह संधू सबसे तगड़े उम्मीदवार थे. पार्टी ने कुक्कू को एडजस्ट करने के चक्कर में अपने नेता को दरकिनार कर दिया. 2012 के चुनाव में भी यहां से उपिंदर शर्मा बागी होकर चुनाव लड़े थे 15, 202 वोट ले गये , इसके चलते कांग्रेस उम्मीदवार रिपजीत बराड़ बुरी तरह से हारे.
2. पठानकोट सीट: पार्टी ने रमन भल्ला और अशोक शर्मा के बीच के विवाद को खत्म करने के लिए युवा उम्मीदवार अमित विज को उतारा है. अमित विज का पठानकोट में अभी वोट तक नहीं है. वह दिल्ली में ही रहते हैं. इसके बाद अशोक शर्मा फिर से बगावत के मूड में हैं. 2012 में अशोक शर्मा चुनाव में भी निर्दलीय चुनाव लड़े खड़े हुए थे. 23 हजार वोट ले गये थे.
3. मौड़ सीट: पार्टी ने हरमिंदर सिंह जस्सी को उतारा है, जबकि यहां से सुखराज नत्त, बेहतर कैंडीडेट थे. नत्त काफी नाराज हैं. उनका निर्दलीय चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. इस फूट का फायदा आम आदमी पार्टी और अकाली दल को मिलेगा.
4. डेरा बाबा नानक : मौजूदा विधायक सुखजिंदर रंधावा को अपने ही भतीजे इंद्रजीत रंधावा से टक्कर मिल रही है. इंद्रजीत रंधावा यूथ कोटे से टिकट चाहते थे लेकिन पार्टी ने सुखजिंदर पर दावं खेला. इंद्रजीत सुच्चा सिंह छोटेपुर की आपणा पंजाब पार्टी में शामिल होकर उनकी ओर से लड़ेंगे.
बाहरी नेताओं को भी टिकट
5. फाजिल्का: पार्टी ने यहां अकाली से आये दविंदर सिंह घुबाया को टिकट दिया है. वह अकाली सांसद शेर सिंह घुबाया के बेटे हैं. इस सीट पर राय सिखों के अलावा जाटों की भी अच्छी संख्या है. कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ मोहिंदर कुमार रिणवा यदि बागी न भी हुए तो भी उनकी नाराजगी दविंदर की जीत में रोड़ा बन सकती है. फाजिल्का पर 50 हजार से ज्यादा राय सिख लोग हैं, उनमें से ज्यादातर यदि दविंदर के साथ गये तो ही वह चुनाव जीतेंगे.
6. जालंधर सीट: वरिष्ठ नेता अवतार हैनरी बेटे को टिकट दिलाने में नाकामयाब रहे. उनके समर्थक पार्षदों और पार्टी पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया. यह पार्टी प्रत्याशी तेजिंदर सिंह बिट्टू के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है. इससे भाजपा प्रत्याशी केडी भंडारी की राह आसान कर सकती है.
7. सुनाम सीट: यहां दामन बाजवा को टिकट लेने से रजिंदर दीपा खासे नाराज बताये जा रहे हैं. उन्होंने निर्दलीय उतरने का एलान, तो किया हुआ है लेकिन अभी नामांकन दाखिल नहीं किये हैं. पार्टी के सीनियर नेता उन्हें मनाने में जुटे हैं.
बागियों को मनाना चुनौती
8. बटाला सीट: यहां पार्टी प्रत्याशी अश्वनी सेखड़ी के साथ भी यही हुआ है. उन्हें भी बाहरी नेताओं से नहीं बल्कि अपनों से चुनौती मिली है. उनके भाई इंद्र सेखड़ी भी आपणा पंजाब पार्टी में शामिल हो गये हैं. यह सेखड़ी के लिए सिरदर्द हो गया है. ये वह सीटें हैं जहां बड़े बागी खड़े होंगे. इसके अलावा फिल्लौर में सरवण फिल्लौर, समाणा में हैरी मान, मोगा में महेश इंद्र सिंह निहालसिंह वाला के नाराज होकर घर बैठने से भी इन सीटों पर निश्चित तौर पर फर्क पड़ेगा.
9. बंगा सीट: पार्टी के लिए यह सीट भी सिरदर्द बनी हुई है. पार्टी ने सतनाम सिंह कैंथ को टिकट दी है. मौजूदा विधायक त्रिलोचन सिंह सूंड ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है. कैंथ पहले भी विधायक रह चुके हैं. पिछले डेढ़ दशक से बंगा में ही रह रहे हैं. त्रिलोचन का कहना है कि यदि वह आजाद खड़े नहीं होंगे, तो करियर खत्म हो जायेगा.