”मन की बात” में पीएम मोदी ने छात्रों को दिया ‘स्माइल मोर, स्कोर मोर” का मंत्र

नयी दिल्ली : परीक्षा का जीवन की सफलता-असफलता से कोई लेना देना नहीं होने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को तनाव मुक्त रहने की सलाह दी और उन्हें ‘स्माइल मोर, स्कोर मोर’ का मंत्र देने के साथ ही अभिभावकों से परिवार में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2017 7:52 AM

नयी दिल्ली : परीक्षा का जीवन की सफलता-असफलता से कोई लेना देना नहीं होने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को तनाव मुक्त रहने की सलाह दी और उन्हें ‘स्माइल मोर, स्कोर मोर’ का मंत्र देने के साथ ही अभिभावकों से परिवार में उत्सव जैसा माहौल बनाने को कहा.

‘आकाशवाणी’ पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मेरा सभी से आग्रह है कि पूरा परिवार एक टीम के रुप में इस उत्सव को सफल करने के लिए अपनी-अपनी भूमिका उत्साह से निभाए. देखिए, देखते ही देखते बदलाव आ जाएगा.’ मोदी ने कहा, ‘‘इसलिए मैं तो आपसे कहूंगा ‘‘स्माइल मोर, स्कोर मोर’ जितनी ज्यादा खुशी से इस समय को बिताओगे, उतने ही ज्यादा नंबर पाओगे, करके देखिए. और आपने देखा होगा कि जब आप खुश होते हैं, मुस्कुराते हैं, उतना आप ज्यादा सहज अपने आप को पाते हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा अपने-आप में एक खुशी का अवसर होना चाहिये.

साल भर मेहनत की है, अब बताने का अवसर आया है, ऐसे में यह उमंग और उत्साह का पर्व होना चाहिए. बहुत कम लोग हैं, जिनके लिए परीक्षा में प्रसन्नता का मौका होता है, ज्यादातर लोगों के लिए परीक्षा एक दबाव होती है. निर्णय आपको करना है कि इसे आप खुशी का मौका मानेंगे या दबाव मानेंगे. जो खुशी का मौका मानेगा, वो पायेगा और जो दबाव मानेगा, वो पछताएगा.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘और इसलिये मेरा मत है कि परीक्षा एक उत्सव है, परीक्षा को ऐसे लीजिए, जैसे मानो त्योहार है और जब त्योहार होता है, जब उत्सव होता है, तो हमारे भीतर जो सबसे खूबसूरत होता है, वही बाहर निकल कर आता है. समाज की भी ताकत की अनुभूति उत्सव के समय होती है. जो उत्तम से उत्तम है, वो प्रकट होता है.’

मोदी ने कहा कि सामान्य रुप से हमको लगता है कि हम लोग कितने अनुशासनहीन हैं, लेकिन जब 40-45 दिन चलने वाले कुम्भ मेलों की व्यवस्था देखें, तो पता चलता है कि ये अस्थायी व्यवस्था होते हुए भी लोगों में कितना अनुशासन है. यह उत्सव की ताकत है जो वातावरण को बोझमुक्त बना देती है. उन्होंने कहा कि और यह मैं अपने अनुभव से कहता हूं कि अगर हम तनाव में है, तो अपनी चीजें हम भूल जाते हैं और आराम से हैं, तो ऐसी-ऐसी चीजें याद आ जाती हैं, जो बहुत काम आती हैं.

मोदी ने कहा कि ऐसा नहीं कि आपने मेहनत नहीं की है, लेकिन कई बार जब आप तनाव में होते हैं तब आपका ज्ञान, आपकी जानकारी के नीचे दब जाती है. और इसलिए एक प्रसन्न मस्तिष्क अच्छे अंक प्राप्त करने का राज होता है. उन्होंने छात्रों से कहा कि कभी-कभी ये भी लगता है कि हम सही संदर्भ में परीक्षा को देख नहीं पाते हैं. ऐसा लगता है कि वह जीवन-मरण का सवाल है. आप जो परीक्षा देने जा रहे हैं, वह साल भर आपने जो पढ़ाई की है, उसकी परीक्षा है. ये आपके जीवन की कसौटी नहीं है. छात्रों को तनावमुक्त होकर परीक्षा देने की सलाह देते हुए मोदी ने कहा कि आपने कैसा जीवन जिया, कैसा जीवन जी रहे हो, कैसा जीवन जीना चाहते हो, उसकी परीक्षा नहीं है.

आपके जीवन में, कक्षा में, नोटबुक लेकर दी गई परीक्षा के सिवाय भी कई कसौटियों से गुजरने के अवसर आए होंगे. और इसलिये, परीक्षा का जीवन की सफलता-विफलता से कोई लेना-देना है, ऐसे बोझ से मुक्त हो जाइए. हमारे सबके सामने, हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी का बड़ा प्रेरक उदाहरण है.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ‘मन की बात’ में नागरिकों के कर्तव्य और अधिकार पर बहस पर जोर दिया, साथ ही सोमवार को 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर देश के लिए शहीदों के लिए 2 मिनट की श्रद्धांजलि देने की अपील की. उन्होंने कहा कि सेना के प्रति आदर का भाव होना चाहिए. प्रधामंत्री ने युवाओं से सेना के वीरों के बारे में जानने और लोगों को बताने की अपील की. उन्होंने कश्मीर में हिमस्खलन में शहीद हुए जवानों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी.

Next Article

Exit mobile version