इशरत जहां केस : DGP पीपी पांडे के सेवा विस्तार पर SC ने गुजरात सरकार से मांगा जवाब
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड मामले में जमानत पर चल रहे गुजरात के पुलिस महानिदेशक पी पी पांडे को मिली पदोन्नति और तीन माह के सेवा विस्तार के खिलाफ दायर याचिका पर आज राज्य सरकार से जवाब तलब किया. प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति […]
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड मामले में जमानत पर चल रहे गुजरात के पुलिस महानिदेशक पी पी पांडे को मिली पदोन्नति और तीन माह के सेवा विस्तार के खिलाफ दायर याचिका पर आज राज्य सरकार से जवाब तलब किया. प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड की पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हत्या मामले में आरोपी होने के बावजूद इस अधिकारी को जमानत दी गई, बहाली की गई, पदोन्नति दी गई और उसे पुरस्कृत किया गया है. उन्होंने कहा कि और अब कुछ दिन पहले पांडे को तीन माह का सेवा विस्तार दे दिया गया.
पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को नोटिस जारी किया गया है और उन्हें जवाब का इंतजार करना चाहिए. केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने पांडे को तीन माह का सेवा विस्तार दिया था. पांडे को 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो जाना था. अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को जब मुंबरा की 19 वर्षीय लडकी इशरत, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर पुलिस के साथ मुठभेड में मारे गए थे, तब पांडे राज्य की अपराध शाखा के प्रमुख थे. गुजरात पुलिस ने आरोप लगाया था कि मारे गए लोगों के आतंकी संपर्क थे.उच्च न्यायालय ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की थी.
एसआईटी ने इस मुठभेड को फर्जी करार दिया था, जिसके बाद उच्च न्यायालय ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था. जमानत पर छूटने के बाद पांडे को फरवरी 2015 में सेवा पर वापस ले लिया गया और उन्हें राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का निदेशक बना दिया गया. बीते वर्ष 16 अप्रैल को पांडे को गुजरात का प्रभारी डीजीपी बना दिया गया. उन्हें पी सी ठाकुर के आकस्मिक दिल्ली स्थानांतरण के बाद यह पद दिया गया.