छत्तीसगढ में सुरक्षा बलों की कथित ज्यादती को लेकर राज्यसभा में हुई तीखी बहस
नयी दिल्ली : छत्तीसगढ में सुरक्षा बलों द्वारा कथित ज्यादतियां किए जाने को लेकर वहां की सरकार को बर्खास्त करने की मांग सोमवार को राज्यसभा में कांग्रेस के एक सदस्य ने की जिसके बाद सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई. उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के बी के हरिप्रसाद ने […]
नयी दिल्ली : छत्तीसगढ में सुरक्षा बलों द्वारा कथित ज्यादतियां किए जाने को लेकर वहां की सरकार को बर्खास्त करने की मांग सोमवार को राज्यसभा में कांग्रेस के एक सदस्य ने की जिसके बाद सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई. उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के बी के हरिप्रसाद ने छत्तीसगढ में सुरक्षा बलों द्वारा कथित ज्यादतियां किए जाने का मुद्दा उठाया जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि शून्यकाल का उपयोग एकतरफा बयान देने और उन सुरक्षा बलों की निंदा करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए जो अपनी जाना जोखिम में डाल हर विषम परिस्थितियों में काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ बेहतर प्रदर्शन करने वाले और आगे बढने वाले राज्यों में से एक है. हरिप्रसाद ने छत्तीसगढ के बस्तर में सुरक्षा बलों द्वारा कथित ज्यादतियां किए जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि वहां आदिवासी महिलाओं के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और यौन उत्पीडन की घटनाएं हो रही हैं लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि इन महिलाओं के मुद्दे उठाने वाले गैर सरकारी संगठनों, उनके मुकदमे लडने वाले वकीलों और उनकी हालत को सामने वाले वाले पत्रकारों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं जबकि राज्य सरकार ने आरोपों के घेरे में आए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक भी मामला दर्ज नहीं किया है. उन्होंने यह भी कहा कि आम व्यक्ति को मारने के बाद उसे नक्सली बता दिया जाता है. राज्य सरकार को बर्खास्त किए जाने की मांग करते हुए हरिप्रसाद ने कहा कि ‘‘सबका साथ सबका विकास’ नारा देने वाली केंद्र सरकार को यह नारा चरितार्थ भी करना चाहिए.
इस पर कडी प्रतिक्रिया देते हुए नायडू ने कहा कि शून्यकाल का उपयोग सुरक्षा बलों की निंदा करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वहां पर पुलिस अपनी जान खतरे में डाल कर विषम परिस्थितियों में कठिन परिश्रम कर रही है. हरिप्रसाद तथा कांग्रेस एवं वाम दलों के सदस्यों के विरोध जताने पर नायडू ने कहा कि विपक्षी सदस्य नक्सलियों तथा माओवादियों के प्रति सहानुभूति रखते हैं लेकिन सुरक्षा बलों की निंदा के लिए उन्हें अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि केवल बयानों के आधार पर आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए. इस पर उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि वह रिकॉर्ड की जांच करेंगे और कथित आरोपों को कार्यवाही से हटा दिया जाएगा.
माकपा के तपन कुमार सेन ने कहा कि सुरक्षा बलों द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन आम लोगों के साथ कथित अत्याचार और उनके अधिकारों का हनन गंभीर चिंता का विषय है और इसे उठाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि शून्यकाल के दौरान ऐसे मुद्दे उठाने के अधिकार पर मंत्री सहित कोई भी सदस्य प्रश्न नहीं उठा सकता. कुरियन ने कहा कि कुछ लोगों के कदाचार के लिए पूरे बल पर आरोप नहीं लगाया जा सकता. कांग्रेस और वाम सदस्यों के विरोध के बीच ही वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केरल में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को मारा जा रहा है और इस मुद्दे पर भी चर्चा की जानी चाहिए.
माकपा सदस्य के के रागेश ने केरल में हो रही ऐसी घटनाओं के लिए एक संगठन विशेष को जिम्मेदार ठहराया। कुरियन ने तत्काल उनकी टिप्पणी को कार्यवाही से निकालने का आदेश दिया. नायडू ने कहा कि केरल के मुद्दे पर भी संसद में चर्चा की जानी चाहिए. कुरियन ने कहा कि केरल में दोनों पक्षों के लोगों को मारा जा रहा है. उन्होंने कहा कि वह किसी भी पक्ष पर आरोप नहीं लगाना चाहते लेकिन खबरों की ओर उनका भी ध्यान जाता है और केरल में दोनों पक्षों के लोगों को मारा जा रहा है.