खराब खाना मामला : बीएसएफ जवान तेज बहादुर लापता ?, पत्नी पहुंची कोर्ट

नयी दिल्ली : सोशल मीडिया के जरिये जवानों को दिये जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठाने वाले बीएसएफ जवान की पत्नी ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दावा किया कि उनके पति लापता हैं और पिछले तीन दिन से परिवार के सदस्य उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2017 9:28 PM

नयी दिल्ली : सोशल मीडिया के जरिये जवानों को दिये जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठाने वाले बीएसएफ जवान की पत्नी ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दावा किया कि उनके पति लापता हैं और पिछले तीन दिन से परिवार के सदस्य उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं.

बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने नौ जनवरी को फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया था. वीडियो में उसने जवानों को कथित तौर पर दिये जाने वाले खाने को दिखाया था. यादव ने दाल में केवल हल्दी और नमक होने का दावा किया था. उसने साथ ही कहा था कि उन्हें जली हुई रोटी दी जाती है.

उसने कहा था कि पाकिस्तान से सटे नियंत्रण रेखा समेत कई स्थानों पर इस प्रकार का खाना दिया जाता है और कई बार जवानों को भूखे पेट सोना पडता है. वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और बीएसएफ से मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी.
इसके बाद उचित खाना पकाये जाने और उनके सही वितरण को सुनिश्चित करने के लिए उच्चाधिकारियों की तैनाती का निर्देश सरकार को देने की मांग को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी. इस याचिका को दायर किये जाने के महज एक माह के भीतर यादव की पत्नी शर्मिला और उसके परिवार ने दावा किया है कि सैनिक लापता है और वे उससे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं.
महिला ने जवान के लापता होने की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. साथ ही उसकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आवेदन को हाल में खारिज किये जाने का मामला भी उठाया है. संपर्क किये जाने पर भूतपूर्व अर्धसैनिक बल कल्याण संघ के महासचिव रणबीर सिंह ने बताया कि शर्मिला और उनके बड़े भाई के साथ उन्होंने बीएसएफ महानिदेशक से मुलाकात की, जिन्होंने मामले में ‘नियमानुसार निष्पक्ष जांच’ का आश्वासन दिया. इससे पहले बीएसएफ ने कहा था कि यादव के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आवेदन को रद्द कर दिया गया क्योंकि उनके खिलाफ ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ लंबित है.

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