कांग्रेस के राज में उत्तराखंड में पांच सालों में दोगुनी हुई बेरोजगारों की संख्या
देहरादून : उत्तराखंड में अपने चुनावी घोषणापत्र में युवाओं केलिए बेरोजगारी भत्ता देने सहित कईबड़े वादे करने वाली सत्तारूढ़ कांग्रेस के कार्यकाल में राज्य में पिछले पांच सालों मेें बेरोजगारों की संख्या चिंताजनक ढंग सेबढ़ कर लगभग दोगुना हो गयी है. ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के विभिन्न रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत बेरोजगारों की […]
देहरादून : उत्तराखंड में अपने चुनावी घोषणापत्र में युवाओं केलिए बेरोजगारी भत्ता देने सहित कईबड़े वादे करने वाली सत्तारूढ़ कांग्रेस के कार्यकाल में राज्य में पिछले पांच सालों मेें बेरोजगारों की संख्या चिंताजनक ढंग सेबढ़ कर लगभग दोगुना हो गयी है. ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के विभिन्न रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 2015-16 में 9.38 लाख तक पहुंच चुकी है. पांच साल पहले यह संख्या 5.65 लाख थी. गौरतलब है कि 2015-16 के एक ही वर्ष में 2.03 लाख नये बेरोजगार पंजीकृत हुए हैं.
आंकड़ों पर नजरदौड़ाई जाये तो हर साल औसतन एक लाख युवा बेरोजगारों की सूची मेंजुड़ते जा रहे हैं. हालांकि, इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि सरकार ने कितने बेरोजगारों को रोजगार दिलवाया लेकिन 2015-16 में रोजगार एक्सचेंजों के जरिये 349 युवाओं को रोजगार मिला है. बढती बेरोजगारी को देखते हुए कांग्रेस ने एक बार फिर अपने घोषणापत्र में युवाओं केलिए कई बड़े-बड़े वादे किये हैं जिसमें सभी बेरोजगार युवाओं को सरकार गठन के 100 दिन के भीतर 2500रुपये बेरोजगारी भत्ता देने की बात भी शामिल है.
वर्ष 2012 में भी कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में तीन वर्ष से लगातार रोजगार कार्यालयों में राज्य के पंजीकृत बेरोजगारों को उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुरूप 750 से 1500 रुपए की धनराशि प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ते केरूप में देने का वादा किया था हालांकि, सरकार बनने के तुरंत बाद इस 1500 रपए की धनराशि को घटा कर 1000 कर दिया गया था. बाद में हरीश रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस बेरोजगार भत्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया गया. इस बारे में रावत ने कहा था कि उनकी सरकार ने भत्ता देने की बजाय युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराया है लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि कितने युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये.
इस संबंधमें पूछे जाने पर, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रवक्ता सुरेंद्र कुमार कहा,‘‘ बेरोजगारों की संख्या में बढोतरी केलिए सिर्फ हम ही दोषी नहीं हैं. केंद्र द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर लागू की जाने वाली नीतियों का भी हम पर प्रभाव पड़ता है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भी हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था लेकिन उसका क्या हुआ.’
हांलांकि, उन्होंने कहा,‘‘ यह एक गंभीर विषय है और इसीलिए हमारी सरकार ने युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने केलिए कई छोटी-छोटी शुरुआत की हैं और उन्हें बेरोजगारी भत्ता देने की भी बात कही है.