तमिलनाडु के राज्यपाल ने कहा, केंद्र को कोई रिपोर्ट नहीं भेजी
चेन्नई : तमिलनाडु के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने आज इससे इनकार किया कि उन्होंने राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर कोई रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय या राष्ट्रपति को भेजी है.मीडिया के एक वर्ग द्वारा अपनी खबरों में यह दावा किये जाने के कुछ घंटे बाद कि राव ने एक रिपोर्ट केंद्र को भेजी है […]
चेन्नई : तमिलनाडु के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने आज इससे इनकार किया कि उन्होंने राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर कोई रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय या राष्ट्रपति को भेजी है.मीडिया के एक वर्ग द्वारा अपनी खबरों में यह दावा किये जाने के कुछ घंटे बाद कि राव ने एक रिपोर्ट केंद्र को भेजी है राजभव ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में इससे इनकार किया. राजभवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘तमिलनाडु के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने केंद्रीय गृह मंत्रालय या भारत के राष्ट्रपति को कोई रिपोर्ट नहीं भेजी है जैसा कि कुछ मीडिया द्वारा कहा जा रहा है.
No report has been sent from Governor C Vidyasagar Rao to Ministry of Home Affairs: Raj Bhavan PRO pic.twitter.com/Q0nHaGzTCr
— ANI (@ANI) February 10, 2017
शशिकला मामले पर न्यायालय के फैसले का इंतजार करते प्रतीत हो रहे हैं राज्यपाल राव
ऐसा समझा जा रहा है कि तमिलनाडु के राज्यपाल विद्यासागर राव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर कोई भी निर्णय लेने से पहले अन्नाद्रमुक महासचिव वी के शशिकला के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतजार करेंगे. टेलीविजन चैनलों ने राज्यपाल द्वारा कथित तौर पर केंद्र को भेजी गई एक रिपोर्ट के हवाले से आज रात बताया कि राव ‘‘अनोखी’ स्थिति के मद्देनजर विधिक विशेषज्ञों से मशविरा कर रहे हैं.
कथित रिपोर्ट में समझा जाता है कि उन्होंने यह संकेत देने के लिए संविधान के विभिन्न प्रावधानों और उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लेख किया कि वह कोई भी निर्णय लेने से पहले तस्वीर साफ होने का इंतजार करेंगे. चैनलों ने कहा कि समझा जाता है कि राज्यपाल ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय के आसन्न निर्णय के मद्देनजर शशिकला के एक विधायक बनने और उसके बाद मुख्यमंत्री बनने की योग्यता पर अनिश्चितता है. कर्नाटक सरकार ने हाल में उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक तत्काल उल्लेख किया था और कहा था, ‘‘हम फैसले को लेकर चिंतित हैं’ जिसे छह जून 2016 को सुरक्षित रख लिया गया था. उच्चतम न्यायालय ने तब कर्नाटक सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता से कथित तौर पर कहा था कि और एक सप्ताह इंतजार करें