पन्नीरसेल्वम VS शशिकला : इतिहास दोहरा रही है तमिलनाडु की राजनीति

चेन्नई : तमिलनाडु में जारी राजनीतिक संकट के बीच केयर टेकर सीएम ओ. पन्नीरसेल्वम खेमे की ओर और सांसदों का आकर्षण बढा है. रविवार को ओ. पनीरसेल्वम को तीन और सांसदों का समर्थन मिल जाने पर उनके खेमे को मजबूती मिली है. पार्टी के लोकसभा सांसदों- जयसिंह त्यागराज नटर्जी (तूतिकोरिन), सेंगूट्टूवन (वेल्लोर) और आर पी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2017 2:48 PM

चेन्नई : तमिलनाडु में जारी राजनीतिक संकट के बीच केयर टेकर सीएम ओ. पन्नीरसेल्वम खेमे की ओर और सांसदों का आकर्षण बढा है. रविवार को ओ. पनीरसेल्वम को तीन और सांसदों का समर्थन मिल जाने पर उनके खेमे को मजबूती मिली है. पार्टी के लोकसभा सांसदों- जयसिंह त्यागराज नटर्जी (तूतिकोरिन), सेंगूट्टूवन (वेल्लोर) और आर पी मरुथाराजा (पेरंबलूर) ने पनीरसेल्वम खेमे को अपना समर्थन दिया है जिससे शशिकला चिंतिंत हैं. एआईएडीएमके में जारी घमासान के बीच पन्नीरसेल्वम खेमे को अबतक 10 सांसदों और 6 विधायकों का समर्थन मिल चुका है.

ऐसा लग रहा है कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है. ‘जी हां’ यहां हम ऐसी घटना का उल्लेख करने जा रहे हैं जिससे यह साबित हो जाएगा कि इतिहास की बातें एक बार फिर चेन्नई की राजनीति में दोहराई जा रही है. तमिलनाडु की राजनीति में ठीक वैसे ही हालात पैदा हो रहे हैं जैसे 1987 में एमजीआर की मौत के बाद देखने को मिला था.
1987 में एमजीआर की पत्नी वीएन जानकी को एआईएडीएमके के ज्यादातर विधायकों ने समर्थन दे दिया था. 1988 में एक महीने बाद जब उन्होंने विधानसभा में विश्वास मत साबित करना चाहा तो जया धड़े के 33 विधायक गैरहाजिर हो गए थे और इन्हें स्पीकर ने अयोग्य ठहरा दिया. इसके पहले वह डीएमके के 10 एमएलए को अयोग्य ठहरा चुके थे. बदले हुए राजनीतिक समीकरण के बीच जानकी आसानी से विश्वास मत जीत गईं, लेकिन तात्कालिन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने विधानसभा में अव्यवस्था का हवाला देकर उन्हें बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद हुए चुनावों में डीएमके सत्ता पर काबिज हुई, लेकिन उसे भी बर्खास्त कर दिया गया. इसके बाद 1991 में जयललिता पहली बार सत्ता में आईं. राजीव गांधी की हत्या से पैदा हुई सहानुभूति की लहर का उन्हें लाभ मिला.
शायद ओ. पन्नीरसेल्वम भी इसी राह पर आगे चलकर कुछ बड़ा करने की चाहत रखते हैं. अगर तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी जयललिता के पक्षधर थे, तो आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओ. पन्नीरसेल्वम के पक्षधर हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में इस तरह के संकेत देखने को मिल रहे हैं.

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