कश्मीर के युवाओं को आतंकवाद से दूर रखने के लिए पुलिस उठा रही ये कदम
श्रीनगर : स्थानीय युवकों को आतंकवाद से दूर रखने के एक प्रयास में जम्मू कश्मीर पुलिस विभिन्न आतंकी समूहों में संभवत: शामिल हुए युवकों के माता पिता को यह आश्वासन दे रही है कि अगर उनके बेटे आत्मसमर्पण करने का निर्णय करते हैं तो उनके प्रति नरम रुख अपनाया जाएगा. पिछले साल जुलाई में हिजबुल […]
श्रीनगर : स्थानीय युवकों को आतंकवाद से दूर रखने के एक प्रयास में जम्मू कश्मीर पुलिस विभिन्न आतंकी समूहों में संभवत: शामिल हुए युवकों के माता पिता को यह आश्वासन दे रही है कि अगर उनके बेटे आत्मसमर्पण करने का निर्णय करते हैं तो उनके प्रति नरम रुख अपनाया जाएगा. पिछले साल जुलाई में हिजबुल मुजाहिद्दीन आतंकी समूह के बुरहान वानी की हत्या के बाद स्थानीय युवकों के आतंकी समूहों में शामिल होने की खुफिया रपटों के बीच पुलिस ने इनके माता-पिता के साथ बैठक करने की पहल की है.
पिछले साल गर्मी और शरद ऋतु में दक्षिण कश्मीर के कई हिस्सों में अशांति रहने से पुलिस बल हिंसा को काबू करने में लगा रहा. इस दौरान अनुमानित 80 युवक कश्मीर घाटी के विभिन्न हिस्सों से लापता हो गये थे और माना जाता है कि वे या तो सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर या भूमिगत कार्यकर्ता के तौर पर आतंकी समूहों में शामिल हो गये.
इस मुद्दे को पुलिस महानिदेशक एसपी वैद्य के समक्ष उठाया गया जिन्होंने गत एक जनवरी को पुलिस प्रमुख का कार्यभार संभाला. इसके बाद इन युवकों के माता-पिता को शिक्षित करने की योजना चलायी गयी.
वैद्य ने आज बताया, ‘हम अपने ही बच्चों को नुकसान पहुंचाना नहीं चाहेंगे. हम उनके माता पिता तक पहुंच रहे हैं और उनसे उनके बच्चों को हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए राजी करने का अनुरोध कर रहे हैं. कुछ मामलों में हमें सफलता भी मिली है. हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों को वाद-विवाद प्रतियोगिता, प्रतियोगी परीक्षाओं में मुकाबला करना चाहिए न कि बंदूकों के साथ.’
वैद्य ने कहा, ‘मैंने अपने जिले के पुलिस अधीक्षक के जरिये अपील की है और कहा है कि लापता के सभी मामलों को जमीनी हकीकत के साथ सत्यापित करने की जरुरत है और उसके मुताबिक सुधारात्मक कदम उठाये जाने चाहिए. हमारा पहला प्रयास हमेशा से ही मानवीय रहा है ताकि हम गुमराह किये गये बच्चों को वापस ला सकें. हमने आश्वासन दिया है कि यदि युवक स्वेच्छा से आत्मसमर्पण करते हैं तो नरम रुख अपनाया जाएगा.’
डीजीपी का बयान ऐसे समय में आया है जब इसके एक दिन पहले पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के एक संयुक्त अभियान में चार स्थानीय आतंकियों को मार गिराया गया. ये चार आतंकी- मुद्दसिर अहमद तांत्रे और वकील अहमद ठोकर (लश्कर-ए-तैयबा) और फारुक अहमद भट्ट एवं मोहम्मद यूनिस लोन (हिजबुल मुजाहिद्दीन) थे.
जहां तांत्रे अगस्त, 2014 से एक सक्रिय आतंकी था, ठोकर पिछले साल सितंबर में लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ था. लोन को इसी साल जनवरी में हिजबुल मुजाहिद्दीन में भर्ती किया गया, जबकि भट्ट जून, 2015 से इस संगठन से जुड़ा था. ये सभी दक्षिण कश्मीर से थे.