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AIADMK विधायकों से बैठक के दौरान रो पड़ीं शशिकला, बोलीं ”अम्‍मा आज भी उनके दिल में जिंदा हैं”

नयी दिल्ली / चेन्नई : तमिलनाडु में चल रहा राजनीतिक ड्रामा अपने चरम पर है. पार्टी की महासचिव शशिकला और तमिलनाडु के कार्यकारी मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्व के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौरा जारी है. पन्नीरसेल्वम का आरोप है कि विधायकों को जबरन बंधक बनाकर रखा गया है. अब मद्रास उच्च न्यायालय को आज सूचित किया गया […]

नयी दिल्ली / चेन्नई : तमिलनाडु में चल रहा राजनीतिक ड्रामा अपने चरम पर है. पार्टी की महासचिव शशिकला और तमिलनाडु के कार्यकारी मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्व के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौरा जारी है. पन्नीरसेल्वम का आरोप है कि विधायकों को जबरन बंधक बनाकर रखा गया है. अब मद्रास उच्च न्यायालय को आज सूचित किया गया कि 119 विधायकों ने लिखित में दिया है कि वे अपनी इच्छा से रह रहे हैं.

इधर लगातार तीसरे दिनशशिकला गोल्‍डन बे रिसोर्ट में पार्टी विधायकों के साथ बैठक की. इस दौरान उन्‍होंने अम्‍मा (जयललिता) को याद करते हुए रो पड़ी और कहा, आज भी अम्‍मा उनके दिलों में जिंदा हैं. उनहोंने कहा, जब मैं यहां आ रही थी तो लोगों ने मुझे एक झोपड़ी में बुलाया, मैं वहां गयी तो देखी अम्‍मा का फोटो वहां लगा हुआ था. वहां वे मेरे दिलों में जिंदा हैं.

सरकारी अभियोजक राजारत्नम ने कहा कि एक एडीएसपी, चार इंसपेक्टर और इतने ही सब-इंसपेक्टर तथा दो तहसीलदारों का दल 11 फरवरी को रिसॉर्ट में गया था और वहां ठहरे हुए 119 विधायकों को एक प्रश्नावली दी गयी थी. उन्होंने कहा कि विधायकों ने प्रश्नावलियों को भर दिया है और उनमें कहा है कि वे अपनी इच्छा से रिसॉर्ट में रह रहे हैं.
शशिकला ने कल 129 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया था. 234 सदस्यीय राज्य विधानसभा में अन्नाद्रमुक के 134 सदस्य हैं. इन सबके बीच अब तमिलनाडु की उठा पटक की आाज केंद्र तक पहुंचने लगी है. अटार्नी जनरल (एजी) मुकुल रोहतगी ने आज तमिलनाडु के राज्यपाल को मुख्यमंत्री पद के दो प्रतिद्वंद्वी अन्नाद्रमुक दावेदार ( पनीरसेल्वम और वी के शशिकला ) के राजनीतिक भाग्य का फैसला करने के लिए शक्ति परीक्षण के वास्ते विधानसभा का सत्र एक हफ्ते के अंदर बुलाने की सलाह दी है .
एजी मुकुल रोहतगी ने राज्यपाल सी विद्यासागर राव को राय दी है कि इन दोनों में किसे बहुमत प्राप्त है, यह तय करने के वास्ते शक्ति परीक्षण के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया जाए. सूत्रों से मिल रही खबरों की मानें, तो राज्यपाल को एक हफ्ते के अंदर विशेष सत्र बुलाने की सलाह दी है. इस मामले में उन्होंने जगदंबिका पाल प्रकरण का जिक्र किया और उच्चतम न्यायालय ने आदेश का हवाला दिया.
अटार्नी जनरल ने जगदंबिका पाल से जुडे उच्चतम न्यायालय के 1998 के फैसले का हवाला दिया. तब शीर्ष अदलात ने आदेश दिया था कि दो दावेदारों- पाल एवं कल्याण सिंह में किन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए बहुमत प्राप्त है, यह तय करने के लिए सदन में शक्ति परीक्षण कराया जाए. वैसे, तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे जयललिता की लंबे समय तक मित्र रहीं शशिकला का राजनीतिक भाग्य पूरी तरह आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निर्भर करेगा जो कल या परसों आने की संभावना है. राजनीतिक सूत्रों की मानें तो राज्यपाल भी इस फैसले का इतंजार कर रहे हैं.
पांच फरवरी को अन्नाद्रमुक विधायक दल की नेता चुनी गयीं शशिकला दोषसिद्धि की स्थिति में विधानसभा चुनाव लडने के लिए अयोग्य हो जाएंगी और इस तरह मुख्यमंत्री बनने की उनकी महत्वाकांक्षा पर पानी फिर जाएगा. यदि वह बरी हो जाती हैं तो वह शक्ति परीक्षण का सामना करने के लिए और जोरदार ढंग से सामने आएंगी. यदि इस मामले में वह दोषी सिद्ध हो जाती हैं तो उन्हें इस शीर्ष पद के लिए किसी अन्य अन्नाद्रमुक नेता का चयन करना होगा। इस मामले में अति लोकप्रिय नेता रहीं दिवंगत जयललिता मुख्य आरोपी हैं.
मुश्किलों में फंसी शशिकला चेन्नई के बाहरी इलाके में एक रिसोर्ट में ठहरे हुए 100 विधायकों से आज लगातार तीसरे दिन मिली. उन्होंने नौ फरवरी को सरकार बनाने का दावा किया था. पार्टी महासचिव शशिकला उन्हें समर्थन कर रहे 129 विधायकों को एकजुट करने की जद्दोजहद में जुटी हैं क्योंकि उनमें से छह पनीरसेल्वम खेमे में शामिल हो चुके हैं. ग्यारह सांसद भी पनीरसेल्वम का समर्थन कर रहे हैं. तमिलनाडु में 234 सदस्यीय विधानसभा है.
इन दो गुटों के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच शशिकला ने आज कहा कि उन्होंने पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री पद से इसलिए हटवाया क्योंकि उन्होंने पार्टी की कट्टर प्रतिद्वंद्वी द्रमुक के साथ साठगांठ कर ली थी. उन्हांेने यहां जयललिता के पोएस गार्डन निवास पर पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, ‘‘यह पनीरसेल्वम ही थे जिन्होंने हमें ऐसा करने को मजबूर किया, हमने खुद ऐसा नहीं किया और इस तरह चीजें हुई। मैं उन्हें :उनके पद पर: रहने देती क्योंकि मेरी मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा नहीं थी और यह सच्चाई है. ‘

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