आय से अधिक संपत्ति मामला : सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता पर की कड़ी टिप्‍पणी

नयी दिल्‍ली : आय से अधिक संपत्ति मामले में जहां सुप्रीम कोर्ट ने दिवंगत जयललिता की सहयोगी रहीं शशिकला को 4 साल और कैद की सजा काटने का फैसला सुनाया वहीं जे. जयललिता पर भी कड़ी टिप्‍पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले में बेंगलूरु की सुनवाई अदालत के फैसले को पूर्ण रूप से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 14, 2017 10:13 PM

नयी दिल्‍ली : आय से अधिक संपत्ति मामले में जहां सुप्रीम कोर्ट ने दिवंगत जयललिता की सहयोगी रहीं शशिकला को 4 साल और कैद की सजा काटने का फैसला सुनाया वहीं जे. जयललिता पर भी कड़ी टिप्‍पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले में बेंगलूरु की सुनवाई अदालत के फैसले को पूर्ण रूप से बहाल कर दिया है. उस फैसले में चारों अभियुक्तों – जयललिता, शशिकला तथा शशिकला के दो रिश्तेदारों वी एन सुधाकरन एवं इलावर्सी को दोषी ठहराते हुए उन्हें जेल भेजने को कहा गया है.

न्यायमूर्ति पी सी घोष एवं न्यायमूर्ति अमिताव राव की दो सदस्यीय पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को पूरी तरह पलट दिया जिसमें चारों दोषियों को बरी कर दिया गया था. पीठ ने कहा कि शशिकला और दो रिश्तेदार बेंगलूर की सुनवाई अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करें और चार साल की जेल की शेष अवधि को काटे.

सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता द्वारा अपने जन्मदिन पर स्वीकार 2.15 करोड़ रुपये मूल्य के नकदी और तोहफे को कानूनी आय नहीं माना जा सकता. शीर्ष अदालत ने निचली अदालत के निष्कर्षों के साथ सहमति जतायी.

न्यायालय ने जयललिता की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि 2.15 करोड़ रुपये की राशि और विदेश से भेजी गयी 77.52 लाख रुपये की रकम जो उन्होंने 1992 में जन्मदिन के तोहफे के तौर पर स्वीकार की थी, इसे उनकी कानूनी आय समझा जाना चाहिए.

अदालत ने गौर किया कि ये तोहफा जेवर, नकदी, डिमांड ड्राफ्ट, चांदी की वस्तु, सिल्क की साड़ी और फ्रेम्ड पोर्ट्रेट के रूप में था जो उन्हें जन्मदिन के अवसर पर मिला था. न्यायमूर्ति पी सी घोष की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘आईपीसी में धारा 161 से 165 ए को शामिल किये जाने और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 के मद्देनजर जिन तोहफों के बारे में दावा किया गया है वे उनके पद और उससे जुड़ी भूमिका की वजह से न सिर्फ कानून द्वारा निषिद्ध हैं बल्कि अपराध भी है.’

न्यायालय ने कहा, ‘किसी भी तरीके से किसी भी रूप में उस अवधि के दौरान जयललिता को दिये गये तोहफों को इस कानून के उद्देश्यों और इसके पीछे के तर्कों को देखते हुए आय के कानूनी स्रोत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता.’

पीठ ने इस बडे निर्णय का केवल वही अंश पढ़ा जो प्रभावी है. उसने कहा, ‘रिकार्ड पर रखी गयी सामग्री एवं साक्ष्य के आधार पर हम उच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार करते हैं तथा आरोपी लोगों को दोषी साबित करने के सुनवाई अदालत के निर्णय की पूर्ण रुपेण पुष्टि करते हैं.’

पीठ ने कहा कि चूंकि जयललिता का निधन हो चुका है, उनके खिलाफ कार्यवाही को बंद किया जाता है. उनका निधन पांच दिसंबर को हुआ. उसने कहा, ‘बहरहाल, हम तथ्यों का सम्मान करते हुए कह रहे हैं कि सुनवाई अदालत द्वारा उनके खिलाफ तय किये गये आरोप बहाल किये जा रहे हैं.’

शीर्ष न्यायालय ने अपना फैसला आठ मिनट तक सुनाया. फैसला सुनाने से पहले न्यायमूर्ति घोष ने कहा, ‘आप समझ सकते हैं कि (यह) बहुत भारी भरकम फैसला है. हमने बोझ वहन किया है.’ शशिकला के करीबी और अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ सांसद थम्बीदुरै ने कहा कि वह निर्णय के खिलाफ अपील करेंगे. बेंगलूरु की सुनवाई अदालत ने शशिकला और उनके दो संबंधियों को चार साल की सजा सुनाते हुए उन पर 10-10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था जबकि जयललिता को चार साल की जेल के साथ 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था.

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