श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) ने बुधवार को एक ही रॉकेट रिकॉर्ड 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर वह मुकाम हासिल कर लिया जो अमेरिका, रूस, चीन जैसे विकसित देशों के वैज्ञानिकों के लिए सपना है. श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से यह प्रक्षेपण पीएसएलवी के माध्यम से किया गया. रूस ने वर्ष 2014 में एकल मिशन के तहत 37 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया था. इसरो ने रूस को पीछे छोड़ते हुए कार्टोसैट-2 शृंखला के उपग्रह और 103 नैनो उपग्रहों को सटीक ढंग से कक्षा में पहुंचा दिया. इससे पहले जून 2015 में इसरो ने अधिकतम 20 उपग्रहों को एक ही मिशन के तहत प्रक्षेपित किया था. इसरो ने उपग्रहों को अंतरिक्ष में वैसे ही प्रक्षेपित किया जैसे स्कूल बस बच्चों को क्रम से अलग-अलग ठिकानों पर छोड़ती जाती हैं.
इस बीच विदेशी मीडिया ने भारत की इस पहल को प्रमुखता दी है. सीएनएन ने कहा है कि अमेरिका बनाम रूस को भूल जाइये, वास्तविक अंतरिक्ष की दौड़ एशिया में जगा बना रहा है. लंदन टाइम्स ने कहा है, भारत ने अपनी अंतरिक्ष में दबदबे वाले राष्ट्रों की दौड़ में खुद को शामिल करने की महत्वाकांक्षा पर बल दिया है. बीबीसी का कहना है कि भारत की आज की सफलता इस बात का संकेत है कि वह मल्टी बिलियन डॉलर स्पेस मार्केट में एक प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर उभर रहा है. द न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि यह मिशन काफी मुश्किल था, लेकिन इसकी सफलता के बाद भारत अंतरिक्ष की दुनिया में एक बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरा है.
वाशिंगटन पोस्ट ने भी इसरो की सराहना की और लिखा कि यह एक बड़ी कामयाबी है, कम खर्चे के साथ इस मिशन को कामयाब करना एक बड़ी उपलब्धि है. द गार्जियन ने लिखा कि यह रिकॉर्ड तोड़ मिशन स्पेस की दुनिया में भारत को नई मजबूती देगा. द टाइम्स लंदन ने लिखा कि मंगल मिशन की तरह ही इस मिशन को भी भारत ने कम खर्च में हासिल कर एक बड़ी कामयाबी हासिल की है जो सराहनीय है.
जहां देश और दुनिया के मीडिया इसरो के तारीफों के पुल बांध रहा है तो वहीं चीन ने ऐसी बात कही है जिससे उसकी चिढ साफ झलक रही है. चीनी अखबार ने अपने लेख में लिखा है कि 104 सैटेलाइट लांच करना भारत के लिए उपलब्धि तो है लेकिन भारत अभी भी स्पेस के क्षेत्र में अमेरिका और चीन से बहुत पीछे है.
खास है कार्टोसेट-2
इसरो ने कहा कि कार्टोसैट-2 शृंखला का उपग्रह ऐसी तस्वीरें भेजेगा जो तटीय भू प्रयोग एवं नियमन, सड़क तंत्र निरीक्षण, जल वितरण, भू-प्रयोग नक्शों का निर्माण आदि कार्यों में सहायक होंगी. यह एक दूर संवेदी अंतरिक्ष यान है, जिसका जीवनकाल पांच साल का है.
96 उपग्रह अमेरिका के
सबसे पहले कार्टोसैट-2 श्रेणी के 714किलोग्राम के उपग्रह को कक्षा में प्रवेश कराया. इसके बाद शेष 103 नैनो उपग्रहों को प्रवेश कराया गया. इनमें दो अन्य उपग्रह इसरो के आइएनएस-1ए और आइएनएस-1बी थे. प्रक्षेपण में 96 उपग्रह अमेरिका के थे. इस्राइल, कजाकिस्तान, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और यूएइ का एक-एक उपग्रह.