सेना प्रमुख के बयान का कश्मीर में विरोध, पर्रिकर ने किया समर्थन

नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के उस बयान का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान में बाधा डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. रावत के बयान को लेकर सियासी बहस छिड़ी तो रक्षामंत्री ने उनका समर्थन करते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 18, 2017 10:23 AM


नयी दिल्ली :
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के उस बयान का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान में बाधा डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

रावत के बयान को लेकर सियासी बहस छिड़ी तो रक्षामंत्री ने उनका समर्थन करते हुए कहा कि जो लोग जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों के काम में बाधा डाल रहे हैं वो आतंकवादियों का बचाव कर रहे हैं और सरकार ने सेना को आतंकवाद विरोधी अभियान को अंजाम देने की खुली छूट दे रखी है.

पर्रिकर ने एक टीवी चैनल से कहा, ‘‘जो लोग अभियान में बाधा डाल रहे हैं वो आतंकियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं और उनका (जनरल रावत का) बयान उसी पर आधारित है. इन मामलों में कार्रवाई के फैसले का अधिकार कमांडिंग अफसर या उस अफसर का होगा जो मौके पर मौजूद होगा. इसे सामान्यीकृत नहीं किया जा सकता.” कश्मीर घाटी में स्थानीय लोगों के विरोध की वजह से सुरक्षा बलों को हो रहे नुकसान को रेखांकित करते हुए जनरल रावत ने बुधवार को चेतावनी दी थी कि जो लोग आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान सुरक्षा बलों पर हमला कर रहे हैं उन्हें ‘कड़ी कार्रवाई’ का सामना करना पड़ेगा.

सेना प्रमुख के बयान का श्रीनगर में विरोध

कल जुमा की नमाज को देखते हुए ऐसी आशंका थी कि सेना प्रमुख के बयान का विरोध होगा, इसलिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे. बावजूद इसके कश्मीर के विभिन्न इलाकों में प्रदर्शन हुआ. श्रीनगर के जामा मजिस्द में प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और पाकिस्तान के झंडे लहराये. साथ ही पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की.

कांग्रेस ने सेना प्रमुख के बयान का विरोध किया

कांग्रेस की ओर से सेना प्रमुख के बयान का विरोध किया गया है और कहा गया है कि यह बयान वहां के लोगों के साथ अनुचित व्यवहार को बढ़ावा देगा. वहीं कांग्रेस के बयान का भाजपा ने विरोध किया है और कहा है कि सेना के हौसलों को तोड़ने वाला बयान नहीं दिया जाना चाहिए.

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