नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोकसभा चुनाव हार कर, राज्यसभा का चुनाव लड़ने वालों को रोकने की मांग करने वाली जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा, अदालतें कानून नहीं बनाती हैं और न ही उनमें संशोधन करती हैं.न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने याचिकाकर्ता के मूल प्रश्न पर भी सवाल खडा किया. याचिकाकर्ता ने कहा कि लोकसभा चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों को उपरी सदन के लिए नामित नहीं किया जाना चाहिए.
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लोकसभा चुनाव हारकर राज्यसभा पहुंचने वाले उम्मीदवारों पर पीआईएल,पढ़िये कोर्ट ने क्या कहा
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोकसभा चुनाव हार कर, राज्यसभा का चुनाव लड़ने वालों को रोकने की मांग करने वाली जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा, अदालतें कानून नहीं बनाती हैं और न ही उनमें संशोधन करती हैं.न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने याचिकाकर्ता के मूल प्रश्न […]
पीठ ने कहा, अदालतों से कोई कानून बनाने या किसी वर्तमान कानून में कोई संशोधन की उम्मीद नहीं होती है. यह सरकार द्वारा करना होता है. यह विधायिका की जिम्मेदारी है. ” उसने कहा,अदालतें बस इस बात की व्याख्या करती है कि यह संविधान के मूल ढांचे के अनुसार किया गया है या नहीं. ”
अदालत ने यह भी कहा कि याचिका विचारयोग्य नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ता का इसमें कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि आम व्यक्ति होने के नाते उसका यह गंभीर मुद्दा को उठाते हुए याचिका दायर करने का अधिकार बनता है.
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